#स्वयंफेस्टिवल: देश में ‘स्वयं’ अपनी छवि बदल रही यूपी पुलिस
Kushal Mishra 29 Dec 2016 6:36 PM GMT

अश्वनी द्विवेदी ( कम्युनिटी जर्नलिस्ट) 30 वर्ष
लखनऊ। अगर दो लोग चौराहे पर बैठकर बातचीत कर रहे हैं और वहीं दो पुलिसकर्मी भी उनको नजर जा जाएं तो लोग कहते हैं कि बस डंडा फटकारने आए हैं। यूपी पुलिस के प्रति ज्यादातर लोगों के जहन में यही धारणा बनी हुई है। यूपी पुलिस भी यही स्वीकारती है। लोगों के मन से इस धारणा को मिटाने के लिए यूपी पुलिस अब अपनी छवि बदल रही है। लोगों की मदद के लिए यूपी पुलिस नई-नई सेवाएं लेकर आई है और इन सेवाओं का लाभ आमजन उठाएं, इसके लिए यूपी पुलिस और देश के ग्रामीण अखबार गाँव कनेक्शन ने हाथ मिलाया है। गाँव कनेक्शन की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर 25 जिलों में 2 से 8 दिसंबर तक मनाए जा रहे ‘स्वयं फेस्टिवल’ के तहत 1000 कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों में यूपी पुलिस ने सहभागिता की है ताकि गाँव-गाँव तक यूपी पुलिस की नई सेवाओं के बारे में ग्रामीणों को जानकारी हो और गाँव का हर तबका यूपी पुलिस की इन सुविधाओं का लाभ उठा सके। गाँव कनेक्शन की ओर से मनाए जा रहे स्वयं फेस्टिवल देश का सबसे बड़ा ग्रामीण उत्सव है।
यह हैं यूपी पुलिस की नई सेवाएं
यूपी पुलिस ने हाल में आमजन की मदद के लिए कई नई सेवाएं शुरू की हैं। इनमें महिला हेल्पलाइन 1090, आपातकालीन पुलिस हेल्पलाइन यूपी 100, ई-एफआईआर, पुलिस की टिवटर सेवा, साइबर क्राइम और पुलिस महिला सम्मान प्रकोष्ठ आदि कई सेवाएं शामिल हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि डिजिटल दुनिया के साथ यूपी पुलिस ने भी अपने आपको डिजिटल पुलिस बनाने के लिए हर महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। ताकि लोग मदद के लिए डिजिटल पुलिस का भी सहारा तुरंत ले सकें।
तब यूपी पुलिस और गाँव कनेक्शन ने मिलाया हाथ
अपनी सेवाओं का लाभ गाँव-गाँव पहुंचाने के लिए यूपी पुलिस ने गाँव कनेक्शन के साथ हाथ मिलाया और स्वयं फेस्टिवल के तहत 25 जिलों में मनाए जा रहे 1000 कार्यक्रमों के जरिये यूपी पुलिस की इन नई सेवाओं के बारे में जागरूक कर रहे हैं। इसी सिलसिले में 21 व 22 नवंबर 2016 को गाँव कनेक्शन और यूपी पुलिस ने साझा तौर पर राजधानी लखनऊ में करीब 25 ज़िलों के पुलिसकर्मियों और 'स्वयं वॉलंटियर्स' के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में वीमेन पावर लाइन-1090 की डीएसपी बबिता सिंह, यूपी पुलिस में एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव समेत कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने सहभागिता निभाई। इतना ही नहीं, दो दिन तक चली इस प्रशिक्षण कार्यशाला में 25 ज़िले के पुलिसकर्मियों ने भाग लिया। इस कार्यशाला के दौरान यूपी पुलिस के आला अधिकारियों ने पुलिसकर्मियों को संबोधित करते हुए उन्हें समझाया कि कैसे गाँव के लोगों से आसान भाषा में संवाद ज़रूरी है, ताकि उनका डर खत्म हो।
अब गाँव-गाँव में ग्रामीणों तक पहुंच रही यूपी पुलिस
देश के सबसे बड़े ग्रामीण उत्सव ‘स्वयं फेस्टिवल’ में चल रहे 1000 कार्यक्रमों के जरिये यूपी पुलिस गाँव-गाँव ग्रामीणों से न सिर्फ मिल रही है, बल्कि उनको अपनी नई योजनाओं के बारे में भी जानकारी दे रही है। इतना ही नहीं, ग्रामीणों को मोबाइल में यूपी पुलिस की एप्लीकेशन के बारे में जानकारी दे रही है। इन कार्यक्रमों के जरिये ग्रामीणों को इन सेवाओं को जानकारी मिल रही है और इन यूपी पुलिस के मोबाइल एप्लीकेशंस को डाउनलोड भी कर रहे हैं।
एनसीआरबी के आंकड़ों ने धूमिल की थी यूपी पुलिस की तस्वीर
देश में अपराध का आंकड़ा रखने वाली संस्था नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों ने यूपी पुलिस की छवि धूमिल की थी। सिर्फ राजधानी लखनऊ में ही एक साल में 2.78 लाख अपराधिक घटनाएं हुई थीं। ऐसे में यूपी पुलिस ने अपनी धूमिल छवि से बाहर आने के लिए कई नई योजनाएं लेकर आई और डिजिटल पुलिस के जरिये अपनी छवि लोगों के दिलों में साफ करने की पूरा प्रयास कर रही है।
तब आगे बढ़कर आए डीजीपी जावीद अहमद
इन आंकड़ों के तहत डीजीपी जावीद अहमद ने न सिर्फ यूपी पुलिस को नई योजनाओं से नया चेहरा देने का प्रयास शुरू किया, बल्कि गाँव कनेक्शन के साथ हाथ मिलाकर गाँव-गाँव में जन-जन तक पहुंचने का जिम्मा यूपी पुलिस को सौंपा। अब यूपी पुलिस देश के सबसे बड़े ग्रामीण उत्सव स्वयं फेस्टिवल के तहत गाँव-गाँव में ग्रामीणों को अपनी सेवाओं की जानकारी दे रही है। इससे पहले लखनऊ से करीब 40 किमी. दूर भारतीय ग्रामीण विद्यालय कुनौरा लखनऊ इंटर कॉलेज में आयोजित स्वयं फेस्टिवल की शुरुआत डीजीपी जावीद अहमद ने स्वयं की। इस कार्यक्रम में करीब 1000 लोगों ने हिस्सा लिया। वहीं, उन्होंने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए यूपी पुलिस की नई सेवाओं के बारे में भी बताया। इस अवसर पर डीजीपी जावीद अहमद ने ग्रामीणों के साथ सेल्फी भी ली।
मैं पिछले 40 वर्षों से अपने गाँव नहीं गया हूं, लेकिन यहां इस कार्यक्रम में भाग लेने के बाद इससे मुझे ये प्रेरणा मिली है कि अब मैं कोशिश करुंगा कि मैं अपने गाँव जाऊं। इससे पहले गाँव में किसी बड़ी घटना घटने पर ही जाना होता रहा है, लेकिन आज खुशी है कि गाँव में एक अच्छे कार्य के लिए आना हुआ है और अब यूपी पुलिस भी गाँव-गाँव तक अपनी पहुंच को मजबूत कर रही है। ताकि यूपी पुलिस की सेवाएं हर व्यक्ति तक पहुंच सकें।जावीद अहमद, डीजीपी
देश में यूपी पुलिस का बड़ा कदम
गाँवों में अपराध के आंकड़ों को कम करने के लिए देश के और राज्यों की अपेक्षा पहली बार किसी राज्य की पुलिस ने ग्रामीण अखबार गाँव कनेक्शन के साथ मिलकर इन कार्यक्रमों के जरिये बड़ी संख्या में गाँव-गाँव तक लोगों से मिलने का बीड़ा उठाया है।
हमेशा से ही पुलिस का नाम बच्चों को डराने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है, जब भी कोई बच्चा अपनी मां की बात नहीं मानता है या कोई जिद करता है तो उसे डराने के लिए उससे कहा जता है कि चुप हो जाओ नहीं तो अभी पुलिस आ जाएगी। हम नहीं चाहते कि पुलिस को बच्चों को डराने का स्वरूप माना जाए। पुलिस चाहती है कि पुलिस और ग्रामीणों के बीच के डर को समाप्त किया जाए। पुलिस और ग्रामीणों के बीच के डर को खत्म करने के लिए पुलिस वालों को अपने व्यवहार में बदलाव लाना पड़ेगा और अब हम यूपी पुलिस की छवि को बदल रहे हैं।जावीद अहमद, डीजीपी
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