#स्वयंफेस्टिवल: एमबीए करने के बाद जरूरतमंदों की सेवा करने में लगा लिया मन

Kushal MishraKushal Mishra   20 Dec 2016 3:33 PM GMT

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#स्वयंफेस्टिवल: एमबीए करने के बाद जरूरतमंदों की सेवा करने में लगा लिया मनसिद्धार्थनगर में स्वयं फेस्टिवल के कार्यक्रम के दौरान विनोद कुमार प्रजापति को मिला सम्मान।

स्वयं डेस्क

सिद्धार्थनगर। समाज में जब बेसहारा लोगों को पेट भरने के लिए दर-दर भटकते देखा तो मन नहीं माना। सोचते रहे कि ऐसे लोगों के लिए कुछ अच्छा करें, जिससे वे भी अपने जीवन में सशक्त बन सकें। ऐसे में समाज के लिए कुछ करने की ठानी और लोगों की मदद को हाथ आगे बढ़ाए। यह शख्स हैं सिद्धार्थनगर के रहने वाले विनोद कुमार प्रजापति। अपनी इस सोच को साकार करने के लिए विनोद ने न सिर्फ आगे कदम बढ़ाए, बल्कि अपने साथ लोगों को जोड़ना भी शुरू किया। आज विनोद कुमार प्रजापति स्वाभिमान समिति के जरिये हजारों जरूरतमंद लोगों के लिए काम कर रहे हैं। इस उपलब्धि के लिए उन्हें गाँव कनेक्शन की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर 2 दिसंबर से शुरू हुए स्वयं फेस्टिवल में जिले स्तर पर ‘स्वयं अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। बता दें कि स्वयं फेस्टिवल के तहत 2 से 8 दिसंबर तक 25 जिलों में 1000 इवेंट कराये जा रहे हैं।

एमबीए किया, फिर भी शुरू किया काम

तीन साल में मां का हाथ सिर से उठ गया। तब पिता ने सहारा दिया और पालपोस कर बड़ा किया। समय बीतता गया और ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने एमबीए किया। नौकरी की तलाश में निकले भी, मगर अपने आसपास के क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों की मदद करने की ललक उनके जहन में गूंज रही थी। तब विनोद ने वर्ष 2004 में उसका बाजार ब्लॉक के 44 गाँवों में मुसहर जाति के लिए काम करना शुरू किया। मुसहर जाति के लोगों को जरूरतमंद की कई सामग्रिया बांटीं। धीरे-धीरे इस काम में विनोद के साथ दूसरे लोग भी जुड़ने लगे और फिर विनोद ने स्वाभिमान समिति का गठन किया और मुसहर जाति के उत्थान के लिए काम करते रहे।

मगर 2007 में जब बाढ़ आई

वर्ष 2007 में उसका बाजार के 44 गाँव बाढ़ की चपेट में आ गए। तब उन्होंने और उनकी स्वाभिमान समिति के सदस्यों ने जरूरतमंद ग्रामीणों की काफी मदद की। उन्होंने बाढ़ प्रभावित गाँवों में न केवल राहत सामग्री पहुंचाई, बल्कि किसान, खेतिहर मजदूर और जरूरतमंद लोगों के लिए पुर्नवास की व्यवस्था भी की। इसके बाद वह अब न सिर्फ कोई विशेष जाति, बल्कि हर तबके के जरूरतमंद लोगों की मदद करते हैं। इतना ही नहीं, उनके समिति के कार्यों को देखते हुई कई कंपनी भी उनके साथ जुड़ीं और आज भी जरूरतमंदों की मदद करने का यह सिलसिला जारी है। इस उपलब्धि के लिए उन्हें जिला स्तर पर गाँव कनेक्शन की ओर से स्वयं अवार्ड से नवाजा गया।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

      

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