खेत में धुंआ कर बचाएं पाला से, करें फसल की कई बार सिंचाई

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खेत में धुंआ कर बचाएं पाला से, करें फसल की कई बार सिंचाईआलू की फसल पर दवा का छिड़काव करता किसान।

विनोद प्रजापति- कम्युनिटी जर्नलिस्ट

लहरपुर (सीतापुर)। दिसम्बर से जनवरी महीने के बीच आलू, मटर और सरसो जैसी फसलों को झुलसा रोग से सबसे अधिक नुकसान होता है। इस समय सही तकनीक अपनाकर किसान पाला से अपनी फसल बचा सकते हैं।

सीतापुर जिले के महोली ब्लॉक के घर का तारा गाँव के किसान सन्तोष कुमार ने पांच बीघा खेत में आलू की फसल लगायी है, पिछले वर्ष झुलसा की वजह से उनको बहुत नुकसान उठाना पड़ा था। संतोष कुमार बताते हैं, "इस बार सर्दी खूब पड़ रही है, इससे हम लोगों के साथ ही खेती को भी बहुत नुकसान हो रहा है।"

किसानों को जानकारी देते हुए फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. डीएस श्रीवास्तव कहते हैं, "इस वर्ष मौसम की अनुकूलता के आधार पर आलू की फसल में पछेती झुलसा रोग लगने की सम्भावना ज्यादा है। ऐसे में जिन किसानों ने अभी तक फफूंदनाशक दवा का छिड़काव नहीं किया है या जिन खेतों में झुलसा बीमारी नहीं हुयी है, उन सभी को सलाह है कि मैंकोजेब युक्त फफूंदनाशक 0.2 प्रतिशत की दर से यानि दो किग्रा. दवा 1000 लीटर पानी में एक हेक्टेयर के हिसाब से तुरन्त छिड़काव करें।"

तापमान कम होने के साथ ही जैसे ही ठंड बढ़ती है और तापमान 10 डिग्री से कम होने लगता है वैसे ही पाला पड़ना शुरू हो जाता है। पाला रोग में आलू की पत्तियां सूख जाती है। ठंड बढ़ने के साथ ही चना और मटर जैसी दलहनी फसलों पर भी पाला रोग की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है।

वो आगे बताते हैं, "जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी है वह साइमोक्सेनिल/मैंकोजेब या फेनामिडोन/मैंकोजेब तीन किग्रा 1000 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करें।" ऐसे ही पारा गिरता रहा तो इसको सबसे ज्यादा असर रबी सीजन की दलहनी फसलों के साथ ही आलू पर पड़ेगा। तापमान कम होने से मटर, चना और आलू की फसलों पर पाला रोग का खतरा मंडराने लगा है।

इस मौसम में पशुओं का रखें खास खयाल

केन्द्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. आनन्द सिंह ने बोलते हुये कहा कि ठण्ड में पशु शालाओं को स्वच्छ एवं चारों तरफ ढककर रखें, जिससे हवा न प्रवेश कर सके। रात में जानवर के बैठने के स्थान पर राख छिड़काव करें या सूखा पुआल बिछाएं। इस मौसम में अन्तः परजीवी और थनैला रोग के लिए पशु चिकित्सालय या कृषि विज्ञान केन्द्र से सम्पर्क करें।"

डॉ. आनन्द ने कहा कि जानवरों को केवल बरसीम न खिलाकर उसके साथ एक-दो किलो भूसा मिलाकर खिलाएं। नहीं तो अफरा की समस्या हो सकती है। अफरा से बचाव हेतु तारपीन 50 मिली. को 500 मिली. शुद्ध सरसों तेल मिलाकर बड़े जानवरों को पिलायें। छोटे जानवरों में मात्रा आधी कर दें।

सिंचाई से बचा सकते हैं पाला से

प्रसार वैज्ञानिक एसके सिंह ने फसलों को पाला से बचाने के लिए कहते हैं, "हल्की सिंचाई एवं शाम के समय खेत के चारों ओर धुंआ करने की सलाह दी। किसान अपनी अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए फसल में सिंचाई के साथ-साथ खेत की मेड़ों पर पड़े कचरे को जलाकर धुआं करें। किसान फसल की निराई करने के बाद, उसे खेत के पास ही सूखने के लिए छोड़ दें। जब वो सूख जाए तो उन्हें जलाकर धुआं करना चाहिए। खेत में सल्फर का छिड़काव करने से भी उसे पाला के प्रकोप से बचाया जा सकता है।"

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation www.ipsmf.org).

      

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