स्वयं फेस्टिवल: ‘उन दिनों’ का टैबू तोड़ने की कोशिश. ललितपुर के सिंधवाहा में गांव की महिलाओं ने की माहवारी पर चर्चा

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स्वयं फेस्टिवल: ‘उन दिनों’ का टैबू तोड़ने की कोशिश. ललितपुर के सिंधवाहा में गांव की महिलाओं ने की माहवारी पर चर्चाललितपुर के सिंधवाहा में महिलाओं ने खुलकर बताई माहवारी से जुड़ी समस्याएं

ललितपुर. यूपी के गांवों में घूंघट के पीछे एक शांत बदलाव शुरू हो चुका है, इसकी झलक मिली ललितपुर ज़िले के सिंधवाहा गांव स्वयं फेस्टिवल के दौरान। स्वयं फेस्टिवल के दौरान सिंधवाहा में महिला स्वास्थ्य और सशक्तीकरण को लेकर एक कैंप आयोजित किया गया था। इस कैंप में महिलाओं ने बिना झिझके माहवारी जैसे मुद्दे पर ना सिर्फ खुलकर शिकायत की, बल्कि पुरुषों को भेदभाव के ख़िलाफ़ ललकारा भी।

माहवारी आज भी ग्रामीण इलाकों में एक टैबू बनी हुई है. महिलाओं का इस विषय पर बात करना अच्छा नहीं समझा जाता. इसलिए उन्हें इस विषय पर ज़रूरी जानकारियां नहीं मिल पाती. एक आंकड़े के मुताबिक़ देशभर में करीब 35 करोड़ महिलाएं उस उम्र में हैं जब माहवारी होती है. लेकिन इनमें से करोड़ों महिलाएं इस अवधि को सुविधाजनक और सम्मानजनक तरीके से नहीं गुजार पाती. एक शोध के अनुसार करीब 71 फीसदी महिलाओं को पहले मासिक स्राव से पहले मासिकधर्म के बारे में जानकारी ही नहीं होती. करीब 70 फ़ीसदी महिलाओं की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती कि सेनिटरी नेपकिन खरीद पाएं.

गाँव कनेक्शन फाउंडेशन के स्वयं प्रोजेक्ट के इस कार्यक्रम में महिलाओं को माहवारी के दौरान होने वाली स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं और उनसे उबरने के लिए ज़रूरी सावधानियों और पर्सनल हाईजीन की जानकारी भी दी गई।

      

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