बच्चे बोले, ऐसे गंदे शौचालय में कौन जाएगा

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बच्चे बोले, ऐसे गंदे शौचालय में कौन जाएगाप्राथमिक विद्यालय में यह है शौचालय का हाल।

कम्यूनिटी जनर्लिस्ट: कविता द्विवेदी

हैदरगढ़ (बाराबंकी)। देश में शौच से मुक्त करने के लिए कई अभियान चल रहे हैं। पिछले कुछ समय के दौरान देश में खुले में शौच की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। देश की सवा अरब जनसंख्या में से आधे से ज्यादा लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं। इनमें लगभग 30 करोड़ महिलाएं हैं जिनमें से अधिकांश कमजोर वर्ग से संबंध रखती हैं। 4 अगस्त, 2014 को केंद्रीय राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने राज्यसभा में स्वीकार किया कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश के लगभग 67.3 प्रतिशत ग्रामीण परिवार आज भी शौचालयों से वंचित हैं।

न दरवाजे हैं और न ही सफाई

स्कूलों में शौचालयों, विशेष रूप से लड़कियों के सरकारी स्कूलों में इनका अभाव है और यह इन स्कूलों के छात्र-छात्राओं द्वारा स्कूल छोड़ देने के मुख्य कारणों में से एक है। ऐसे ही हालात उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में हैं। यहां शौचालय तो बने हैं, लेकिन उनका उपयोग नहीं हो सकता क्योंकि उनमें न तो दरवाजे हैं और न सफाई।

दरवाजा आधा टूटा और आधा लटका

बाराबंकी जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर स्थित हैदरगढ़ क्षेत्र के त्रिवेदी गंज ब्लाक के अलादादपुर प्राथमिक स्कूल मे शौचालय की स्थिति बहुत खराब है। यहां शौचालय का दरवाजा आधा टूटा और आधा लटका हुआ है। शौचालय में गंदगी की भरमार है। गंदगी के कारण बच्चे उसमे शौच के लिए नहीं जाते, क्योंकि जहां पैर रखना मुश्किल हो वहां शौच के लिए कैसे जाया जा सकता है। इसी के बगल मे एक शौचालय और है, जहां ईट पड़ी है। इस सम्बन्ध में जब बच्चों से बात की तो एक छात्रा रुचि बताती हैं, "शौचालय गंदा है, मगर इसी में जाना पड़ता है, क्योंकि आस-पास कोई जगह नहीं है जहां हम जा सकें। कभी-कभी बदबू के कारण उल्टी भी हो जाती है।"

क्या कहती हैं प्रधानाचार्या

इस सम्बन्ध में प्राधानाचार्या रिनी मिश्रा से बात की गई तो वो बताती हैँ, " स्कूल बन्द होने के बाद यहीं गाँव के लोगों द्वारा ही शौचालय का उपयोग किया जाता है। गाँव वाले ही शौचालय गंदा करते हैं और दरवाजे भी तोड़ दिया है। क्योंकि स्कूल बन्द होने के बाद गाँव के बच्चे यहां खेलते हैं। इनके कारण ही शौचालय की ऐसी स्थिति है।" रिनी आगे बताती हैं, "लोगों ने यहां एक शौचालय में दरवाजा तोड़ दिया और दूसरे में ईंटे डाल दिया है। स्कूल में कोई भी सफाईकर्मी नहीं आता है।" प्रधानाध्यापिका आगे बताती हैं, "शौचालयों की मरम्मत और सफाई हम एक दो दिन मे करवा देंगे।"

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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