आधी परियोजनाओं के बंद होने से सूख रहे हलक

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आधी परियोजनाओं के बंद होने से सूख रहे हलकप्रतीकात्मक फोटो। साभार-गूगल इमेज

उन्नाव। जिले में डेढ़ दर्जन से अधिक सोलर बेस पाइप्ड पेयजल योजना बंद चल रही हैं। इन परियोजनाओं के बंद होने की जानकारी अब तक प्रशासन को नहीं थी। शिकायतों के बाद जब प्रशासन ने जांच कराई तो परियोजनाओं के बंद होने की जानकारी सामने आ सकी। इस पर अधिकारियों ने अब हर हाल में परियोजनाओं को चालू करने के निर्देश दिए हैं।

चौंकाने वाली रही जानकारी

सोलर बेस पाइप्ड पेयजल योजना के अंतर्गत 20 परियोजनाएं संचालित हैं। जिनमें से कई परियोजनाएं लंबे समय से बंद चल रही हैं। जिसकी शिकायतें लगातार प्रशासन को मिल रही थीं। हाल ही में हुई एक बैठक में जिलाधिकारी ने जलनिगम के अफसरों से परियोजनाओं के संबध में सवाल किए थे। जिस पर उन्हें परियोजनाओं के सफल संचालन की जानकारी दी गई थी। हालांकि डीएम ने बीडीओ से परियोजनाओं की जांच कर स्थलीय रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। खंड विकास अधिकारियों ने जब जांच पड़ताल की तो जो जानकारी चौंकाने वाली रही।

इन्हें बंद की श्रेणी में रखा गया

बीडीओ की रिपोर्ट के अनुसार, जिले में 2 परियोजनाओं में 1 बंद चल रही है। इसमें एक एकाध परियोजनाएं दिन में मात्र एक से दो घंटे की चल पाती हैं। इन्हें भी बंद की ही श्रेणी में रखा जाता है। बीडीओ की रिपोर्ट जब प्रशासन के पास पहुंची तो नोडल अफसर जिला विकास अधिकारी को पत्र भेजकर परियोजनाओं को चालू कराने के आदेश दिए गए। बीडीओ एनबी सविता ने बताया कि परियोजनाओं में से दस बंद मिली हैं। जिस पर जलनिगम के अधिकारियों को पत्र भेजकर इन्हें चालू कराने के निर्देश दिए गए हैं।

यह है रिपोर्ट

बीडीओ द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में जिन दस परियोजनाओं के बंद होने का जिक्र किया गया है उनमें औरास-रायपुर, सरोसी-परमनी, सरोसी-प्यारेपुर, करन-शंकरखेड़ा, बिछिया-तौरा, बिछिया-तारगांव, बिछिया-गोड़वा बिसुनपुर परियोजना बंद मिली हैं। जबकि मियागंज-जमालपुर में पाइप लाइन में रिसाव होने से जलापूर्ति बाधित मिली है। वहीं असोहा-गढ़ी करमली में दिन में एक-दो घंटे ही जलापूर्ति होती मिली। इसी तरह असोहा-बेहटा में आंशिक रूप से जलापूर्ति होती मिली। जबकि सफीपुर-दारानगर, बीघापुर-भरतीपुर, हसनगंज-लखनापुर, बांगरमऊ-गनीपुर, नवाबगंज-वाजिदखेड़ा, हिलौली-चंदाखेड़ा, हिलौली-बखतखेड़ा, बिछिया-कुईथर, बिछिया-टीकरगढ़ी, गंजमुरादाबाद-(बेहटा मुजावर) में परियोजना संचालित मिली।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

  

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