जारी है गाँवों में नोटबंदी का असर, गेहूं की बुवाई प्रभावित, शादी में धन के लिए भी परेशान लोग

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जारी है गाँवों में नोटबंदी का असर, गेहूं की बुवाई प्रभावित, शादी में धन के लिए भी परेशान लोगबैंक ऑफ इंडिया शाखा सौरिख के बाहर नगदी निकालने के लिए खड़े ग्रामीण। 

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: रविन्द्र यादव

सकरावा/कन्नौज। ग्रामीण इलाकों में नोटबंदी का असर अब भी है। ग्रामीण सुबह से लेकर शाम तक लाइन में खड़े रहते हैं, लेकिन कोई गारंटी नहीं होती है कि उनको भुगतान मिल जाएगा। कुछ लोग तो कई-कई बार आए और हताश होकर लौट गए। किसी के यहां शादी है तो कोई गेहूं की बुवाई करना चाहता है। बैंक शाखाओं में रूपये न मिलने की वजह से खेती-किसानी समेत अन्य जरूरी काम प्रभावित हो रहे हैं।

कैसे हो सकेगी शादी?

थाना सौरिख क्षेत्र के डिडौनी स्थित बैंक ऑफ इंडिया शाखा में इन दिनों बहुत आपाधापी है। यहां खड़े भूरे सिंह ने बताया कि वह 10 दिनों से बैंक के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन पैसा नहीं मिल रहा है। भुगतान न होने की वजह से वह गेहूं की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं, जबकि इस समय बुवाई तेजी से चल रही है। नगला खरख निवासी प्रमोद कुमार ने बताया कि उनकी बेटी की शादी तीन दिसम्बर को है। इसके बाद केवल 10 हजार रूपये मिले हैं। इससे शादी कैसे हो सकेगी? खर्च काफी आता है। घर में नगदी इतनी नहीं है कि शादी का खर्च हो सके।

सुबह छह बजे से लाइन में खड़ी

गांव तुरकपुर निवासी कमलेश देवी ने बताया कि वह सुबह छह बजे से बैंक शाखा के बाहर खड़ी हैं, लेकिन बताया गया है कि पैसा नहीं है। इसलिए नहीं दिया गया है। मिथलेश कुमारी ने बताया कि बैंक से रूपया न निकलने की वजह से घर की सारी व्यवस्थाएं चौपट हो गई हैं। गांव चंदौरा निवासी राजकुमार ने बताया कि उनके बच्चे की तबियत गंभीर है। इलाज जरूरी है। पर घर में पैसे न होने की वजह से मुश्किल खड़ी हो गई है।

जनता काफी परेशान है

वहीं सकरावा की आर्यावर्त ग्रामीण बैंक में सुरेश, नीरज, बलवीर, गिरजेश, मीना, दीवान, रामऔतार और अशफाक अली ने बताया कि बैंक प्रबंधक कहते हैं कि नगदी नहीं है, इसलिए भुगतान कम हो रहा है या नहीं मिल रहा है। इससे बच्चों के इलाज और शादी में दिक्कत हो रही है। जनता काफी परेशान है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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