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इस गाँव के तालाब बुझा रहे पशु-पक्षियों की प्यास 

uttar pradesh

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। खेतों से लौट रहे जानवरों का झुंड हो या दिन ढलने के बाद घोंसले में लौट रहे पक्षियों का समूह, आमा टिनिच गाँव में भरे तालाबों में इन सभी की प्यास बुझ जाती है। इन सभी तालाबों में पानी भरने की व्यवस्था गाँव के लोग खुद करते हैं। बस्ती जिले से करीब 40 किमी दूर सल्टौआ ब्लॉक के आमा टिनिच गाँव में चार तालाब बने हुए हैं।

इन चारों तालाबों में किसी के आसपास भी सरकारी नलकूप की कोई व्यवस्था नहीं है। गाँवों के लोग अपने निजी संसाधनों से तालाबों का संरक्षण कर रहे हैं। परंपरागत जलस्त्रोत के संरक्षण को लेकर यहां के लोगों का प्रयास अन्य गाँवों के लोगों के लिए एक प्रेरणा बना हुआ है।

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आमा टिनिच गाँव में रहने वाले विकास कुमार (30 वर्ष) बताते हैं, “जब से तालाब खुदे हैं तब से गाँवों वालों ने सूखने नहीं दिया है। सरकार तालाबों में पानी भरवाने को लेकर बजट भी देती है, लेकिन उससे तालाबों को भरा नहीं जाता है। हमारे ग्राम प्रधान और गाँव वाले मिलकर निजी नलकूपों से तालाब को भरते हैं।

इससे अपने गाँव के जानवरों को ही पानी मिलता है और आसपास के गाँव के जानवर भी प्यासे नहीं रहते।” आमा टिनिच गाँव में तालाबों के निर्माण और जल संरक्षण का सफर वर्ष 2013 में शुरू हुआ। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत गाँव में वर्ष 2013-14 में दो तालाब खोदे गए और पानी भरवाया गया। इसके बाद वर्ष 2015 में बैदोलिया पुरवा पर एक तालाब खोदने के साथ उसके चारों तरफ छायादार पौधे और सीढ़ी बनाई गई। वर्ष 2016 में इसी ग्राम पंचायत के इमिलिया में एक तालाब का निर्माण हुआ।

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ग्राम प्रधान सुमन सिंह ने बताया, तालाब अगर भरे होंगे तो उससे ज्यादा लाभ पशु-पक्षियों को होता है। हमारे इलाके में अक्सर जंगली जानवर पानी की तलाश में आते है। ऐसे में भरे तालाबों में उनको पानी मिल जाता है। गाँव वालों के सहयोग से तालाबों की नियमित देखरेख की जाती है इन सभी कामों में गाँव वाले साथ भी देते है।

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