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पीलीभीत में एक हजार एकड़ ज़मीन पर बनेगा टाइगर सफारी

हिंदी समाचार

नीतीश तोमर/स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

पीलीभीत। वर्ष 2014 में जबसे पीलीभीत के जंगलों को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है तभी से बाघ के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। टाइगर रिजर्व से बाहर आकर अक्सर टाइगर जंगल किनारे बसने वाले ग्रामीणों पर हमला कर देता है। ऐसे हिंसक हुए टाइगरों को वन विभाग पकड़कर चिड़ियाघरों भेज देता है। लेकिन वन्यजीवों की बढ़ती संख्या के कारण बड़े शहरों में बने चिड़ियाघरों पर जंगली जानवरों की संख्या का दबाव बढ़ता जा रहा है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए जनपद पीलीभीत में वन विभाग ने प्रदेश शासन को जंगल से बाहर आए बाघों को पकड़कर एक स्थान पर रखने के लिए टाइगर सफारी बनाने का प्रस्ताव भेजा था।

इस प्रस्ताव को शासन से स्वीकृति भी मिल गई है, जिसके लिए वन विभाग ने तराई के ग्राम बरुआ कुठारा की जमीन जो करीब 1400 एकड़ है, इसको अवैध कब्जेदारों से खाली कराकर 1000 एकड़ जमीन पर टाइगर सफारी बनाने का निर्णय लिया गया है, जिसके सर्वे के लिए वनरक्षक वी के सिंह, डीएफओ कैलाश प्रकाश और सामाजिक वानिकी के आदर्श कुमार के साथ बराही रेंज पहुंचे।वनरक्षक ने प्रस्तावित जमीन की स्थिति को देखा तथा आगे की रणनीति पर विचार विमर्श किया।

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इस बारे में वन रक्षक वी के सिंह बताते हैं, “प्रतिवर्ष 15 नवंबर से 15 जून तक ही पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगलों को पर्यटकों के लिए खोला जाता है। लेकिन अब टाइगर सफारी बनने पर देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए टाइगर सफारी बनना एक अच्छी खबर है। क्योंकि टाइगर सफारी में बाघों को एक जगह रखा जाएगा, जिससे कभी भी पर्यटक बाघों को देख सकेंगे।”

इस बारे में जंगल किनारे के गाँव बरुआ कुठारा जहां टाइगर सफारी बनना है, वहां के रहने वाले (50 वर्षीय) ग्रामीण राधेश्याम से बात की गई तो उन्होंने टाइगर सफारी बनने पर खुशी जाहिर की और बताया कि “टाइगर सफारी बनने पर बाघ जंगल से बाहर नहीं आ पाएंगे जिससे ग्रामीणों पर होने वाले बाघ के हमले कम हो जाएंगे। किसान अपने खेतों में निडर होकर खेती कर सकेंगे।”

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