फल संरक्षण के मामले में यूपी फिसड्डी 

uttar pradesh

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष 10,000 मीट्रिक टन से भी अधिक फलों का उत्पादन किया जाता है, लेकिन फल संरक्षण के लिए प्रदेश में कमज़ोर कोल्ड सप्लाई चेन और भंडारण की कमी के कारण हर साल हज़ारों कुंतल फल बर्बाद हो जाता है।

प्रदेश में फल संरक्षण सुविधाओं को बढ़ाने के लिए सरकार की उदासीनता को ज़िम्मेदार ठहराते हुए फेडरेशन ऑफ कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (यूपी) के अध्यक्ष महेंद्र स्वरूप बताते हैं, “उत्तर प्रदेश में फल भंडारण के लिए आज तक किसी भी सरकार ने नहीं सोचा है।

फलों को संरक्षित रखने के लिए प्रदेश में प्राथमिक तौर या तो निजी कोल्ड स्टोरेज हैं, मंडियों के छोटे कूल चैंबर या फिर सब्जियों को रखने वाले सरकारी शीतगृह हैं।’’

ये भी पढ़ें- कश्मीर के पुलवामा में सेना ने तीन लश्कर आतंकियों को किया ढेर

उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 में बागवानी उत्पादन के क्षेत्र में 468.892 हज़ार हेक्टेयर में 10296.144 मीट्रिक टन फलों का उत्पादन किया गया है। इससे पहले वर्ष 2015 में यह उत्पादन 8904.36 मीट्रिक टन था जो 425.358 हजार हेक्टेयर के क्षेत्रफल में किया गया था।

यदि फल विपणन की बात की जाए तो प्रदेश में फलों को सीधे कृषि मंडियों में ही बेचा जाता है। फलों को संरक्षित व प्रसंस्कृत करके व्यापार में लाने के लिए सरकारी तौर पर प्रदेश में मात्र दो पैक हाउस ही स्थापित किए गए हैं।

“अभी तक का हाल देखा जाए तो यूपी में 95 फीसदी कोल्ड स्टोरेज ऐसे हैं,जहां पर सिर्फ आलू का भंडारण किया जाता है। मौसमी फलों के लिए प्रदेश में मात्र पांच फीसदी ही शीतगृह चलतू हालत में हैं।’’ महेन्द्र स्वरूप ने आगे बताया।

प्रदेश में फल व सब्जियों को संरक्षित कर एक जगह पर ही इनकी खरीददारी करने के लिए तत्कालीन सपा सरकार ने वर्ष 2014-15 में किसान बाज़ार व एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब भी बनवाया गया, लेकिन सरकार का यह प्रयास भी कारगर नहीं साबित हो पाया।

ये भी पढ़ें- जेटली जी, काजल-लिपस्टिक से ज्यादा जरूरी था सेनेटरी नैपकिन टैक्स फ्री रखते …

यह ही नहीं अप्रैल माह में नई दिल्ली में हुई खरीफ कॉन्फ्रेंस 2017 में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने पूरे देश में बागवानी फसलों के लिए देश में 68,000 पोस्ट हारवेस्ट मैनेजमेंट यूनिट खोले जाने की बात कही थी। इनमें कोल्ड स्टोरेज, राइपनिंग चेम्बर और पैक हाउस के निर्माण शामिल थे, लेकिन आज तक फल संरक्षण के मामले यूपी आज भी पिछड़ा हुआ है।

प्रदेश में फल भंडारण के मामले में पिछड़ रहे उत्तर प्रदेश की वजह बताते हुए राजकीय उद्यान विभाग,(लखनऊ मंडल) के उप निदेशक उद्यान, वीरेंद्र सिंह बताते हैं,’’ फलों की खेती कर रहे किसानों से उनसे फलों को सीधे खरीदकर शॉपिंग मॉल व रीटेल आउटलेट में बेचने के लिए कई निजी कंपनियों ने प्रदेश सरकार के सामने कई बार प्रस्ताव रखे हैं, पर इन परियोजनाओं में बजट ज़्यादा होने के कारण सरकार ने इनपर रुचि नहीं दिखाई। इसके साथ साथ सरकारी कोल्ड स्टोरेजों का कम होना भी अपर्याप्त फल भंडारण की मुख्य वजह है।’’

कोल्डचेन परियोजनाएं शुरू नहीं हो सकीं

भारत में फलों के संरक्षण व प्रसंस्करण खाद्य उत्पादक केन्द्रों को कोल्ड स्टोरेज और प्रसंस्करण उद्योग से जोड़ने के लिए खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्रालय ने मार्च में 101 नई एकीकृत कोल्डचेन परियोजनाओं को मंजूरी दी थी।

इसके अंतर्गत देश में 2.76 लाख मीट्रिक टन क्षमता के 21 कोल्डचेन प्रोजेक्ट बनाए जाने थे। इसमें उत्तर प्रदेश में 14, गुजरात में 12 , आंध्र प्रदेश में आठ और पंजाब व मध्य प्रदेश में छह -छह कोल्डचेन प्रोजेक्ट खोलने का प्रस्ताव रखा गया था, लोकिन अभी इन कोल्डचेन परियोजनाओं की शुरूआत नहीं हो सकी है।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

Recent Posts



More Posts

popular Posts