देवांशु मणि तिवारी
स्वयं प्रॉजेक्ट डेस्क
लखनऊ। हाल ही में हुई वर्षा से मौसम खीरे की खेती के लिए बिल्कुल अनुकूल हो गया है। ऐसे में किसान खीरे की कुछ खास किस्में लेकर कम समय में अच्छी पैदावार पा सकते हैं। मानसून के शुरुआती दिनों में खीरे की उगाई जाने वाली किस्मों के बारे में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ.आर.एस. बाना बताते हैं, ” बारिश को देखते हुए किसानों को इस समय खीरे की खेती अधिक लाभ दिलाएगी। खीरे की खेती में पूसा बरखा और पूसा उदय किस्म की खेती कम समय मे अधिक पैदावार देती हैं। खीरे की ये किस्में अन्य किस्मों की अपेक्षा कम क्षेत्र में अधिक पैदावार देती हैं।”
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खीरे की खेती में सबसे अहम होती है इसकी बुवाई। बुवाई ऐसी करें कि पौधे में बेल से बेल की दूरी 60 सेंटीमीटर है। इसके अलावा बुवाई से पहले खेत की निराई-गुड़ाई कर खरपतवार जरूर निकाल लें। इसके अलावा बुवाई के बाद अगर बारिश कम हो रही हो तो हर पांचवें दिन खेत मे सिंचाई अवश्य करें।
डॉ. आर एस बाना ने आगे बताया कि “पूसा उदय और पूसा बरखा खीरे की किस्में एक हेक्टेयर में करीब 180 कुंटल पैदावार देती हैं। खीरे की यह किसमें 40 से 50 दिन में तैयार भी हो जाती है।”
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खीरे में कीट नियंत्रण है ज़रूरी—–
खीरे में लगने वाले कीट व इसके प्रकोप से कैसे बचा जा सकता है। इस बारे में डॉक्टर आर.एस. बाना बताते हैं,” खीरे की फसल में लाल कीट और फल मक्खी जैसे कीट सबसे ज्यादा हानिकारक माने जाते हैं। इसमें लाल कीट के लिए कारबाइल और फल मक्खी के लिए मेलाथियान 50 ईसी दवा का प्रयोग करना चाहिए। इससे फल मक्खी व लाल कीट जैसे कीटों का प्रकोप कम हो जाता है।”
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