सब्जियों की खेती से मुनाफा कमा रहे बुंदेलखंड के इस गाँव के किसान

Divendra SinghDivendra Singh   16 Oct 2016 10:19 PM GMT

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सब्जियों की खेती से मुनाफा कमा रहे बुंदेलखंड के इस गाँव के किसानबुंदेलखंड के किसान कर रहे हैं सब्जियों की खेती

शंकर दयाल पयासी- कम्युनिटी जर्नलिस्ट

चित्रकूट। एक ओर बुंदेलखंड के किसान सूखा और अन्ना पशुओं से होने वाले नुकसान का रोना रोते हैं, वहीं पर यहां के एक गाँव के किसान सब्जियों की खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।

चित्रकूट जिले के कर्वी ब्लॉक के खुटहा गाँव के ज्यादातर किसान सब्जियों की खेती कर तीन-चार महीने में पचास-साठ हजार रुपए कमा लेते हैं। यही नहीं इस गाँव के किसानों को कई बार सब्जियों की बेहतर खेती करने के लिए जिला और मंडल स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है।

खुटहा गाँव के किसान कमलेश (35 वर्ष) सब्जियों की खेती करते हैं, इस समय उन्होंने खेत में पालक, मूली, गोभी जैसी सब्जियां लगाई हैं। पालक के खेत में निराई करते हुए वो बताते हैं, "धान गेहूं की खेती में कोई फायदा नहीं है, जितनी मेहनत लगती है, उतना भी फायदा नहीं होता है। लेकिन सब्जियों की खेती से खूब फायदा होता है। मेरे पूरे गाँव में सब इसी की खेती करते हैं।"

बुंदेलखंड के किसान कर रहे हैं सब्जियों की खेती

जिला और मंडल स्तर पर भी कई बार किए जा चुके हैं सम्मानित

कमलेश को जिलाधिकारी मोनिका रानी ने जिले में सबसे अधिक और बढ़िया गोभी उत्पादन के लिए सम्मानित भी किया है। खुटहा गाँव से ही पूरे जिले में सब्जी जाती है, दूसरे किसान जब गोभी की खेती की तैयारी करते हैं। तब यहां की सब्जियां बाजार में जाने लगती हैं।

गोभी की खेती में पांच से छह हजार रुपए की लागत आती है, तीन महीने में पचास से साठ हजार रुपए की कमाई हो जाती है। इस बार जल्दी ही गोभी तैयार हो गयी है।
राज बहादुर (48 वर्ष) खुटहा गाँव के किसान

इसी के साथ ही राज बहादुर ने गन्ने की फसल लगायी है, राज बहादुर कहते हैं, "हमारी तरफ गन्ने की खेती न के बराबर होती है, ऐसे में त्योहारों के समय एक गन्ना दस-बीस रुपए में बिक जाता है।" इस समय गाँव में सौ से अधिक किसान सब्जियों की खेती कर रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधर रही है।

जैविक खेती में भी बढ़ रहा किसानों का रुझान

गाँव में सब्जियों की खेती पिछले कई वर्षों से हो रही लेकिन गाँव के प्रगतिशील किसान शिव कुमार शुक्ला (55 वर्ष) किसानों को जैविक तरीके से खेती करना सिखा रहे हैं। शिव कुमार शुक्ला खुछ भी एक किसान हैं। वो बताते हैं, "आजकल जैविक उत्पादों की मांग बढ़ रही है। मैंने सबसे पहले गाँव में वर्मी कम्पोस्ड से खेती की शुरुआत की थी, अब कई किसान करने लगे हैं।"

शिव कुमार शुक्ला किसानों को वर्मी कम्पोस्ड बनाने की ट्रेनिंग के साथ ही उन्हें मुफ्त में केंचुआ भी देते हैं। शिव कुमार किसानों को खेती की नयी तकनीक के बारे में भी बताते रहते हैं।"

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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