लखनऊ। हर साल केन्द्र सरकार पशुओं के खुरपका, मुंहपका के टीकाकरण पर करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन इस बार प्रदेश में पशुचिकित्साधिकारी संघ द्वारा टीकाकरण अभियान का बहिष्कार से अभी तक किसी भी गाँव में टीकाकरण की शुरुआत तक नहीं हो पाई है। हर साल प्रदेश में खुरपका-मुंहपका टीकाकरण अभियान 16 सितंबर से शुरू होता है और दूसरा अभियान मार्च में शुरू होता है।
“सरकार हमसे 24 घंटे काम लेती है और प्रैक्टिस कहां से करें। ग्रामीण क्षेत्रों में जितने भी काम होते हैं, जैसे कोटा सत्यापन, स्वच्छता अभियान में ड्यूटी, मिड डे मील चेक करना जैसे कई कामों में डयूटी लगा दी जाती है। मेडिकल वालों को नॉन प्रैक्टिस एलाउंस मिलता है, जबकि हम लोगों को नहीं मिलता है। सरकार कहती है आपको प्रैक्टिस करने की छूट है पर हम प्रैक्टिस करें कब, जब हमसे इतने अन्य काम लिए जाते हैं।” गोंडा जिले के मुझैना ब्लॅाक के पशुचिकित्साधिकारी डॉ. मनोज कुमार बताते हैं।
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खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) एक संक्रामक रोग है, जो विषाणु द्वारा फैलता है। इस बीमारी को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा हर वर्ष दो बार गाँव-गाँव जाकर टीकाकरण किया जाता है। लेकिन पशुचिकित्सकों के बहिष्कार के चलते टीकाकरण ठप पड़ा हुआ है।
कानपुर देहात के रनिया गाँव के पशुचिकित्सक प्रीजेंद्र सिंह बताते हैं, ”हमें मेडिकल डॅाक्टरों की तरह कोई भी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, जबकि हमारी डिग्री भी पांच साल की है, दोनों ही बराबर है, पर उनको प्रैक्टिस एलाउंस मिलता है और हमको नहीं। हमारी दो मांगें हैं, जिसके पूरे होने के बाद ही टीकाकरण शुरू किया जाएगा। खुरपका-मुंहपका वैक्सीन में हम सुबह से शाम तक वैक्सीन लगाते हैं, तो प्रैक्टिस करने का समय ही नहीं है।”
पशुपालन विभाग के मुताबिक, पूरे प्रदेश में चार करोड़ 75 लाख पशुओं को टीका लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस बारे में पशुधन प्रमुख सचिव डॉ. सुधीर एम बोबडे ने बताया, ”टीकाकरण बंद नहीं हुआ है। मेरे पास 12-15 जिलों की सूचना आ गई है। बस पशुचिकित्सकों का थोड़ा असहयोग है। सोमवार को स्थिति पता चलेगी।”
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”नौकरी करते हुए 19 साल हो गए, लेकिन अभी तक कोई प्रमोशन नहीं मिला है। अभी तक पद ही नहीं बढ़ाए हैं। इसलिए डायनैमिक एश्योर कैरियर प्रमोशन (डीएसीपी) की मांग हम लोग कर रहे है।” बाराबंकी जिले के पशुचिकित्सक डॉ. विजय विक्रम ने बताया।
इस टीकाकरण अभियान का उदेद्श्य है कि (डिसीज फ्री जोन) बीमारी मुक्त स्थान बनाना, जिसके लिए केंद्र सरकार करोड़ों रुपए खर्चा करती है। इस बीमारी से पशु के मरने पर पशुपालकों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है। रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र निदेशक डॅा. एएन सिंह ने बताया, ”पशु चिकित्साधिकारियों की जो मांगें हैं वो शासन स्तर पर पहुंचाई गई हैं। पूरी की जाएंगी या नहीं, ये शासन देखेगा।”
टीकाकरण करने के लिए टीम बनाई जाती है, जिसमें एक पशुचिकित्सक, दो पशुधन प्रसार अधिकारी, दो चतुर्थ श्रेणी होते हैं। इस टीम के द्वारा दिनभर में 400 टीका लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है। बिना पशुचिकित्सकों के टीकाकरण न शुरू करने के बारे में सीतापुर के मुख्य चिकित्साधिकारी डॅा. आरपी यादव बताते हैं, “भारत सरकार की गाइडलाइन में लिखा है कि टीम में पशुचिकित्सक का होना अनिवार्य है क्योंकि पशुचिकित्सक रहते हैँ तो घटना नहीं होती है। इसके अलावा इडियन वेटनरी कांउसिल का भी निर्देश है कि बिना पशुचिकित्सक के टीकाकरण नहीं किया जा सकता है। इन्ही पत्रों का हवाला देते हुए टीकाकरण बंद कर दिया गया है। वरना अभियान को चलाया जा सकता था।”
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निदेशालय से आए आदेश के बारे में डॉ. यादव बताते हैं,”हमारे पास निदेशक प्रशासन का पत्र आया है कि जो लोग इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम में सहयोग नहीं कर रहे हैं। उनका 19 सिंतबर से और जब तक प्रारंभ नहीं हो रहा है तब तक उनको अनुपस्थित मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।”
नहीं तो 25 सितंबर से करेंगे कार्य बहिष्कार
उत्तर प्रदेश पशुचिकित्साधिकारी संघ के अध्यक्ष डॉ. सुधीर कुमार बताते हैं, ”सरकार से हमारी दो मांगे हैं। एक तो नॉन प्रैक्टिस एलाउंस (एनपीए), दूसरा डायनैमिक एश्योर कैरियर प्रमोशन (डीएसीपी)। इन दोनों मुद्दों को सातवां वेतन आयोग की जो समिति बनी है, उसमें भी रखा था। पिछली सरकार में भी दो बार फाइल कैबिनेट तक गई है, पर कुछ नहीं हुआ है। अभी प्रमुख सचिव पशुधन ने आश्वासन दिया है। अगर मांग पूरी नहीं हुई अभी तो एफमडी टीकाकरण का बहिष्कार हुआ है। 25 सिंतबर को हम लोग कार्य बहिष्कार करेंगे। वैक्सीन तो साल में दो बार लगती है इसको अगली बार लगा देंगे।”