अनाथ बच्चों की देखभाल को गाँव-गाँव में बन रहीं कमेटियां

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
अनाथ बच्चों की देखभाल को गाँव-गाँव में बन रहीं कमेटियांप्रतीकात्मक फोटो

अजय कुमार मिश्र/विजय राठौर- कम्युनिटी जर्नलिस्ट

कन्नौज। बाल संरक्षण समिति को अब गाँव-गाँव गठित कर सक्रिय किया जा रहा है। ब्लॉक और जिलास्तर पर भी कमेटियां गठित हो चुकी हैं। बैठकों का सिलसिला भी चल रहा है। इससे बच्चों पर होने वाले अत्याचार, यौन पोषण को ही नहीं रोका जाएगा, बल्कि लावारिस बच्चों की सुरक्षा और देखभाल भी की जाएगी। समय-समय पर समीक्षा बैठकें भी होंगी।

उत्तर प्रदेश की ओर से जारी शासनादेश के तहत समेकित बाल संरक्षण योजना के तहत जिले में 18 साल से कम आयु के शिशु, बालक, बालिका के लिए बाल संरक्षण के सशक्त संरक्षणात्मक परिवेश का निर्माण, उचित पालन पोशण करने, परिवार की देखरेख पाने, प्रतिष्ठा के साथ रहने, बच्चों को हिंसा व दुर्व्यहार से बचाने के उद्देश्य से जनपद, विकास खंड एवं ग्राम सभा स्तर पर बाल संरक्षण इकाई का गठन किया जाना है। तीन महीने में अनिवार्य रूप से बैठक होगी। इसमें ग्राम सभा और ब्लॉक स्तर पर बच्चों की सुरक्षा, संरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, देखरेख सम्बन्धी बिंदुओं की समीक्षा होगी। समिति यह भी तय करेगी कि बाल श्रम, बाल यौन शोषण, पलायन, ट्रैफिकिंग या किसी प्रकार के बच्चों के साथ क्रूरता न हो।

अगर ऐसी कोई भी घटना संज्ञान में आती है तो सभी तथ्यों का आंकलन कर संबंधित थाने में विशेष किशोर पुलिस इकाई, जिला बाल संरक्षिण समिति, बाल कल्याण समिति एवं किशोर न्याय बोर्ड को तत्काल कार्रवाई के लिए सूचना दी जाएगी। समिति क्षेत्र में नए आने वाले बच्चों, गाँव से बाहर गए बच्चों और कारित अपराध में आरोपित बच्चों के सम्बंध में समय-समय पर सूचना प्राप्त करेगी। उसे जिला बाल संरक्षण समिति एवं विशेष किशोर पुलिस इकाई को भी जानकारी देगी। संरक्षण अधिकारी का कहना है कि तालग्राम, छिबरामऊ और हसेरन ब्लॉकों में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 की भी जानकारी दी जा रही है। इसमें लावारिस बच्चे, घर से भागे बच्चे, बेसहारा और बीमार बच्चों की सूचना दी जा सकती है।

आर्थिक समस्या पर भी देना होगा ध्यान

बाल संरक्षण समितियां क्षेत्र में आर्थिक समस्या से जूझ रहे बच्चों के पालन-पोषण न करने वाले परिवारों को भी चिहिन्त कर रोजगार परक योजनाओं से अभिभावकों को लाभान्वित कराकर परिवार को बच्चों के उचित पालन-पोषण के लिए मजबूत बनाने का काम करेंगी, जो बच्चे शिक्षित नहीं हो पा रहे हैं उनके परिवारों को भी चिहिन्त कर प्रवर्तकता कार्यक्रम के तहत वित्तीय सहायता के लिए बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत करेगी। ब्लॉक एवं ग्राम सभा में अनिवार्य शिक्षा के लिए सभी बच्चों का स्कूल में प्रवेश भी कराने का दायित्व कमेटी का होगा। साथ ही ऐसे बच्चों की निरंतर उपस्थिति भी जांची जाएगी।

नवजात शिशुओं के मिलने की तत्काल देगी सूचना

समिति अपने क्षेत्र में परित्यक्त नवजात शिशुओं के मिलने पर तत्काल थाने के बाल कल्याण अधिकारी, विशेष किशोर पुलिस इकाई, जनपद की बाल कल्याण समिति एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी/जिला प्रोबेशन अधिकारी को तुरंत सूचना देगी, जिससे नवजात को संरक्षण और चिकित्सा सुविधा मिल सके। उत्तर दायित्यों को सही ढंग से निर्वहन करने के लिए ब्लॉकस्तर पर ट्रेनिंग दी जाएगी। मॉडयूल तैयार करने की बात भी कही गई है। उसे जिलों में भेजने का आदेश है। आईसीपीएस योजना के तहत प्रशिक्षण मद में आवंटित धनराशि से जिला बाल संरक्षण समिति की आरे से जिला के बाल संरक्षण क्षेत्र में प्रतिष्ठित संस्थानों/संगठनों के जरिए से प्रशिक्षण का कार्यक्रम सुनिश्चित कराया जाएगा।

किशोर न्याय बोर्ड का भी गठन

सूची भी शासन से आ चुकी है। इसमें संतोश कुमार यादव और अलका रानी को सदस्य नामित किया गया है। प्रतीक्षा सूची में राज्य वर्धन शुक्ल और उदयवीर सिंह रखे गए हैं। इसी तरह बाल कल्याण समिति में अध्यक्ष उदयवीर सिंह को बनाया गया है। रघुवीर झा, उर्मिला देवी, उमा सिंह और भानू प्रिया को सदस्य बनाया गया है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

  

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.