बस नाम का है यह अस्पताल, दो साल से है बंद

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बस नाम का है यह अस्पताल, दो साल से है बंदस्थानीय लोगों को बड़ी उम्मीद थी कि इस अस्पताल से उन्हें काफी मदद मिलेगी मगर सारी उम्मीदें धराशाई हो गईं।

छात्र पत्रकार- रवि अग्रहरी, कक्षा-12, रईस अहमद इण्टर कालेज इटवा सिद्धार्थनगर।

इटवा (सिद्धार्थनगर)। गाँवों में स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे सरकार करती है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल तो बहुत खुल गए हैं लेकिन सुविधा के नाम पर भवन के अलावा कुछ नहीं।

सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी. दूर इटवा ब्लॉक के जिगिना धाम गाँव में करीब दस वर्ष पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाया गया था। डॉक्टर व अन्य जरूरी संसाधनों के अभाव में अस्पताल बंद पड़ा है।

जिगिना गाँव के रहने वाले रामशंकर (40 वर्ष) कहते हैं, "शुरुआत में कुछ दिन डॉक्टर की तैनाती रही, लेकिन करीब दो साल पहले डॉक्टर के जाने के बाद कोई डॉक्टर नहीं आया। तबसे अस्पताल सिर्फ कागज पर ही चल रहा है।" वो आगे बताते हैं, "विभाग के अधिकारी कमीशन खाने के चक्कर में बड़ा अस्पताल तो बनवा देते है। लेकिन बाद में अस्पताल को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेते हैं।" स्थानीय निवासी धर्मेश प्रजापति बताते है कि इस सूदूरवर्ती क्षेत्र के लोगों को अस्पताल खुलने पर बड़ी खुशी हुई थी लेकिन अब इस भवन का कोई फायदा नहीं मिल रहा है। मरीजों को इलाज के लिए बाहर ही जाना पड़ता है।

"This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org)."

   

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