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खेती करते-करते रेडियो को बना लिया गुरु, आज बिखेर रहे अपनी आवाज का जादू

विनय शुक्ला

कम्यूनिटी जनर्लिस्ट: विकास सिंह तोमर

लहरपुर (सीतापुर)। रेडियो और टीवी में काम करना हर किसी का सपना होता है, लेकिन काम करने के साथ खेती भी करना बड़ी बात होती है।

रेडियो को बना लिया गुरु

सीतापुर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी. दूर लहरपुर तहसील के सोंसरी गाँव विनय शुक्ला (40 वर्ष) के बचपन का सपना था रेडियो पर काम करना, अपनी आवाज़ के ज़रिये लोगो तक पहुंचना। लक्ष्य इतना आसान नहीं था और मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं, फिर विनय ने एक रास्ता निकाला और रेडियो को ही अपना गुरु बना लिया।

लोग उड़ाते थे मजाक

विनय शुक्ला बताते हैं, “आकाशवाणी के प्रसारणों के साथ बीबीसी लन्दन, वाइस ऑफ़ अमेरिका, रेडियो जर्मनी, चाइना इंटरनेशनल के साथ बहुत सी प्रसारण सेवाओं को नियमित सुनता था। खेत में काम करने के समय रेडियो साथ रहने लगा। लोग आलोचना भी करते, मज़ाक भी उड़ाते, लेकिन इरादा मज़बूत था।”

और आज कर रहे हैं रेडियो में काम

रेडियो से प्रेरित होकर विनय ने उर्दू भाषा का गहन अध्ययन किया जिससे उच्चारण संबंधी समस्याएं न हो। भाषा प्रवाह पर पकड़ बनाने के लिये कठिन अभ्यास और नियमित स्वाध्याय किया। आकाशवाणी लखनऊ की स्वर परीक्षा में असफल हुए, लेकिन दूसरी बार कठिन परिश्रम के साथ स्वर परीक्षा में सम्मिलित हुए और उत्तीर्ण हुए। आज विनय आकाशवाणी लखनऊ से प्रसारित कार्यक्रम लोकायन और खेती किसानी को सफलता पूर्वक संचालित करते हैं। रेडियो की तमाम विधाओं पर काम करने के साथ दूरदर्शन उत्तर प्रदेश पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम कृषि दर्शन का भी संचालन करते हैं।

विनय के प्रयासों से गाँव में बना बांध

रेडियो और दूरदर्शन में काम करने के साथ ही विनय आज भी खेती भी करते हैं। इसके साथ ही विनय शुक्ला के प्रयासों से उनके सोंसरी गाँव में बांध भी बन गया है। विनय शुक्ला बताते हैं, “हर बार की बाढ़ में गाँव का कुछ हिस्सा नदी में बह जाता, खेत के खेत बह जा रहे थे। किसानों की सारी मेहनत बह जाती। लेकिन हम इसके लिए कुछ नहीं कर पा रहे थे।” बांध बनने से शारदा के तटीय क्षेत्र के सोंसरी, सेमरिया, बुढ़नापुर व खालेपुरवा में कटान का कहर थम गया है। चांदी, मूड़ी खेरा, बेलवा, मास्टर पुरवा, मुगलपुर समेत करीब 50 गाँवों में नदी इस बार अपना कहर नहीं ढा पायी।

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