दिव्यांग शिक्षक और खच्चर से स्कूल के 14 किलोमीटर दुर्गम रास्ते का सफर

डिंडौरी के लुढरा गांव के दिव्यांग शिक्षक रतनलाल नंदा पिछले 15 सालों से खच्चर से स्कूल आते-जाते हैं। मात्र 7 किलोमीटर की दूरी को तय करने के लिए उन्हें दो घंटे से भी अधिक का समय लगता है।

Sachin Dhar DubeySachin Dhar Dubey   1 Jan 2020 6:20 AM GMT

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डिंडौरी(मध्य प्रदेश)। "मेरे घर से स्कूल चौदह किलोमीटर दूर है। रोज यही दूरी तय करना मेरे लिए बेहद मुश्किल था। 15 साल पहले न उतना साधन था और न ही सड़क। इसलिए मैंने घोड़े का सहारा लिया। पिछले 15 सालों से मैं रोज 14 किलोमीटर की दूरी मैं घोड़े से ही तय करता हूं।", यह बातें मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले के प्राथमिक स्कूल के शिक्षक रतनलाल नंदा ने बताई।

रतनलाल नंदा डिंडौरी जिले के संझौला गांव में बतौर शिक्षक तैनात हैं। वह जन्म से ही पैरों से दिव्यांग हैं। लेकिन यह उनका हौसला ही है कि वह रोज अपने घर से स्कूल तक का 7 किलोमीटर का लंबा सफर घोड़े से करते हैं।

गांव कनेक्शन से बातचीत में शिक्षक रतनलाल ने बताया कि इस 14 किलोमीटर की दूरी को तय करने में कम से कम चार घंटे लग जाते हैं। वह कहते हैं, "मैं रोज सुबह 9 बजे स्कूल के लिए निकल जाता हूं। 11 बजे स्कूल पहुंचता हूं। 11 से 4 बच्चों को पढ़ाता हूं और फिर वापस घर लौटता हूं। घर लौटते-लौटते शाम के 6 बज जाते हैं। चूंकि मैं सक्षम नहीं हूं इसलिए दोपहिया भी नहीं चला सकता।"

शिक्षक रतनलाल नंदा

रतनलाल आगे बताते हैं कि रोड भी उस लायक नहीं है। रतनलाल को खच्चर से भी सफर करने में रोज कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। एक तो रास्ते उबड़-खाबड़ हैं, दूसरा रास्ते में नदी-नाले भी मिलते हैं। वह खच्चर से ही रोज इन पथरीली रास्तों को पार करते हैं।

"इतनी सारी मुश्किलों के बावजूद मुश्किल से ही कोई दिन होता है, जब सर पढ़ाने नहीं आते।", रतनलाल के स्कूल के छात्र केदार ने बताया। ग्रामीण दुक्खु सिंह बताते हैं, "सफर के दौरान कई बार खच्चर की हिम्मत जवाब दे जाती है, लेकिन रतनलाल आज तक हिम्मत नहीं हारे। हम सब ग्रामीणों ने कई बार सड़क बनाए जाने की गुहार नेताओं और अधिकारियों से लगाई लेकिन गांव में अभी तक सड़क नहीं आ पाई।"

स्वतंत्रता दिवस पर शिक्षक रतनलाल को किया जाएगा सम्मानित

इस बारे में जिला शिक्षाधिकारी रावेंद्र मिश्रा से जब गांव कनेक्शन ने बात की तो उन्होंने कहा, "रतनलाल शिक्षा विभाग की शान और इस क्षेत्र के लिए मिसाल हैं। वह प्राथमिक शाला संझौला में शिक्षक है और कई सालों से खच्चर से स्कूल आते जाते हैं। हमने उनको सम्मानित करने का निर्णय लिया है। इस स्वतंत्रता दिवस प्रशासन उनको सम्मानित करेगा।"

रतनलाल जिस स्कूल में पढ़ाते है, उसकी हालात बहुत खराब है। छत टपकता है और गिरने का भी खतरा बना रहता है। इस बारे में पूछने पर रावेंद्र मिश्र बताते हैं, "अस्थाई व्यवस्था के तहत पुराने स्कूल की छत पर प्लास्टर चढ़ा दिया गया है। वहीं पुराने स्कूल के पास ही नए स्कूल का निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है। स्कूल के लिए राशि भी आवंटित कर दी गई है। जल्द ही नए स्कूल परिसर में कक्षाएं लगनी शुरू हो जाएंगी।"

जिला शिक्षाधिकारी रावेंद्र मिश्रा

स्कूल और सड़क की स्थिति को लेकर गांव कनेक्शन ने डिंडौरी जिले के जिलाधिकारी से भी बात करने की कोशिश की। लेकिन काफी कोशिशों के बाद भी उनसे बात नहीं हो पाई।

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