एक पिता का दर्द: "मेरे गांव में 14 बच्चे मरे हैं, सुविधाएं मांगने पर हमें नक्सली कहा जाता है"

"हम सरकार से जब भी सुविधाओं की मांग करते या अपना विरोध दर्ज कराते हैं तो हमें नक्सली कह दिया जाता है। पुलिस से हमें परेशान कराया जाता है। इधर से उधर दौड़ाया जाता है। हमारी सुनने वाला कोई नहीं है"

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   18 Jun 2019 12:51 PM GMT

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वैशाली (बिहार)। बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से अब तक 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। मुजफ्फरपुर के अलावा आसपास के जिले भी इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। वैशाली जिले के हरिबंशपुर गांव के तो 14 बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं। पूरे गांव में सन्नाटा पसरा है।

हरिबंशपुर गांव के ही रहने वाले है चतुरी सैनी। इनके भी अपने जिगर के टुकड़े को गंवा चुके हैं। सैनी कहते हैं "परिवार में उनके बच्चे के अलावा एक और बच्चे ने इस बीमारी से दम तोड़ा है।"

वे आगे कहते हैं "हम सरकार से जब भी सुविधाओं की मांग करते या अपना विरोध दर्ज कराते हैं तो हमें नक्सली कह दिया जाता है। पुलिस से हमें परेशान कराया जाता है। इधर से उधर दौड़ाया जाता है। हमारी सुनने वाला कोई नहीं है।"चतुरी सैनी जिनके बच्चे ने हाल में ही दम तोड़ा है उनका शासन प्रशासन की व्यवहार को लेकर दर्द सामने आ गया। बिहार में चमकी बुखार ने कई घरों के चिराग बुझा दिए हैं। गांव के हर घर से बस रोने की अवाजें सुनाई देती हैं।

इलाज ढ़ंग से होता तो बच जाता बच्चा

चतुरी सैनी आगे बताते हैं "हमारे बच्चे का इलाज ढंग से नहीं हुआ। इलाज ढंग से होता तो उसकी जान बच जाती। डॉक्टर्स ने उसे भर्ती ही नहीं किया। स्थिति इतनी खराब नहीं थी। जिनके बच्चों की स्थिति बहुत खराब थी उनके बच्चे बच कर आ गए। हमारा बच्चा क्यूं नहीं बचा।"

लीची खाने पर बच्चों के बीमार होने पर वो कहते हैं कि गांव के हर बच्चे ने लीची खाया है, हर कोई क्यों बीमार नहीं हुआ। जिनके बच्चों ने भर-भर के लीची खाया उनको कुछ नहीं हुआ, हमारे बच्चे 3,4 लीची क्या खा लिया तो वह मर जाएगा? इस हिसाब से तो गांव में किसी को बचना ही नहीं चाहिए।

गांव में है डर का माहौल

गांव की ही एक पीड़ित बच्चे की मां कहती है "गांव में बेहद डर का माहौल है। हर दूसरे घर में कोई न कोई इस बुखार से पीड़ित है। मेरा भी बच्चा चमकी बुखार से पीड़ित है। अस्पताल ले जाते हैं तो डॉक्टर बोलता है कि बच्चा सही हो गया है ले जाओ, लेकिन वापस घर लाने पर उसे फिर बुखार चढ़ जाता है। यह बुखार सही होगा कि नहीं, पता नहीं। इस चमकी के डर से गांव के लोग पलायन कर गए हैं। जो बचे भी हैं वह अस्पताल में अपने बच्चे को लेकर भर्ती है। अब आप लोग ही कुछ करिए।"

(वैशाली से चंद्रकांत मिश्रा और अभय राज की रिपोर्ट)

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