गुजरात की ये लड़कियां अपने गांव में ला रही हैं बदलाव

समाज में बदलाव लाती गुजरात की दो लड़कियां। गुजरात के छोटा उदयपुर की आनंदपूरी गांव की दो लड़कियां हीरल और आशा अपने छूट्टी के समय में आदिवासी बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही हैं।

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उमेश कुमार, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

छोटा उदयपुर(गुजरात)। समाज में बदलाव लाती गुजरात की दो लड़कियां। गुजरात के छोटा उदयपुर की आनंदपूरी गांव की दो लड़कियां हीरल और आशा अपने छूट्टी के समय में आदिवासी बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही हैं। कॉलेज में पहली बार कदम रखने वाली आनंदपूरी गांव की इन दो लड़कियों से तीन गांव के बच्चे पढ़ने आते हैं। इस गांव में लड़कियों को पढ़ाया ही नहीं जाता। आशा और हीरल अपने गांव की पहली लड़कियां हैं,जो कॉलेज से पढ़ाई कर रही हैं। लड़कों में भी साक्षरता की स्थिति यहां बहुत सही नहीं है। अब तक पूरे गांव से केवल दो बच्चे ही कॉलेज तक पहुंचे हैं।

सिर्फ दो लड़कियां 12 वीं तक हैं पढ़ी

हीरल और आशा की जो अपने जिले की परीक्षा परिणाम कम आने पर चितिंत थी। उन्होंने इस स्थिति को देखते हुए आसपास के बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने के फैसला किया। आशा और हीरल दोनो आदिवासी समुदाय से आती हैं। आशा बताती है की उनके गांव में सिर्फ 2 ही लडकिया 12 वीं तक पढ़ी है। वह आगे बताती हैं कि इस साल उनके जिले के 12 वीं और 10 वीं की परीक्षा के परिणाम बहुत कम आये हैं। इस बात को ध्यान में रखकर उसने अपनी सहेली हीरल भील को साथ लेकर मुफ्त में बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया।

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गांव वाले भी दोनों लड़कियों केे कदम से हैं खुश

हीरल बेन भील जो कि राजपिपला में BA में पढ़ रही है वह बताती है कि गर्मी की छुट्टियों में वह और उनकी सहेली ने बच्चो को मुफ्त में पढ़ाना शुरू किया। उसका सपना बड़े हो कर राजीनीतिज्ञ बनना है और समाज और आसपास के लोगो के बेहतरी के लिए काम करना है। हीरल कहती हैं कि अब बाजार में उनसे जो मिलता है वो हमें अपने बच्चों को पढ़ाने को कहता है। हमारे इस कदम में हमारे घरवाले भी सपोर्ट करते हैं। गांव में रहने वाले विजयभाई बताते हैं कि इन दोनों लड़कियों ने जब से पढ़ाने का शुरू किया है तबसे गांव के बच्चों में एक अलग उत्साह देखने को मिला रहा है। ये बहुत अच्छा काम है और पूरा गांव इस काम में उनकी मदद कर रहा है।



   

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