पहले लोग ताने देते थे, अब क्षेत्र के लिए मिसाल हैं रमाबाई

शुरू में जब ई रिक्शा चलाना शुरू किया तो लोग ताना देते थे, हंसते थे तब बेहद दिक्कत होती थी। अब कोई कुछ नहीं कहता है। यह शब्द है राजनांदगांव के छोटे से गांव सिरसाही की ई-रिक्शा चलाने वाली रमाबाई के

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दिनेश साहू,कम्युनिटी जर्नलिस्ट

राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)। शुरू में जब ई रिक्शा चलाना शुरू किया तो लोग ताना देते थे, हंसते थे तब बेहद दिक्कत होती थी। अब कोई कुछ नहीं कहता है। यह शब्द है राजनांदगांव के छोटे से गांव सिरसाही की ई-रिक्शा चलाने वाली रमाबाई के। रमाबाई ने अपने पूरे परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी खुद उठाई है।आज रमाबाई का नाम जिले में रिक्शा चलाने वाली पहली महिला के तौर पर दर्ज है।

राजनांदगांव में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की तहत जिले में कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है। इन योजनाओं की तहत महिलाओं को समूह में जोड़ कर महिला सशक्तिकरण के अलावा उनके स्वच्छता, शिक्षा, पोषण पर भी काम किया जाता है।

प्रशासन ने दिया ई रिक्शा चलाने की ट्रेनिंग

रामबाई बताती हैं कि प्रशासन की तरफ से उन्हें ई रिक्शा चलाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। वहीं से उन्होंने गाड़ी का मेंटेनेंस, रखरखाव, गाड़ी चलाने की ट्रेनिंग ली। उन्हें रिक्शा खरीदने के लिए श्रम विभाग की ओर से श्रम कार्ड से 50 हजार रूपये अनुदान भी दिया गया है। रोजाना 10 किलोमीटर के पांच राउंड ई रिक्शा चलाती हैं। वह बताती हैं कि सुबह 9 बजे वह ई रिक्शा लेकर क्षेत्र में सवारियों की खोज में निकल जाती हैं। उन्हें सवारी भी आसानी से मिल जाती है।

मिलनसार हैं रमाबाई

खैरागढ़ क्षेत्र के लोगों रमाबाई के बारे में बताया कि वह काफी मिलनसार महिला है। सबसे घूलमिल कर रहती हैं। आज क्षेत्र में रमाबाई की एक अलग पहचान हैं। रमाबाई कहती हैं कि जो लोग पहले गलत तरीके से पेश आते थे वह अब सामने आने पर कुछ नहीं बोलते हैं।

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रोज 50 किलोमीटर चलाती हैं रिक्शा

रामबाई के परिवार में 4 लोग हैं। उनके पति पिलाराम वर्मा खेती किसानी में जुटे रहते हैं। इसके अलावा इनके दो बच्चे पढ़ाई लिखाई करते हैं। सुबह 9 बजे से शाम को 6 बजे तक रमाबाई की गाड़ी सड़कों पर दौड़ती रहती है। रोजाना दो सौ रूपये की आमदनी इनको आसानी से मिल जाती है। रामबाई बताती हैं कि रिक्शा खरीदने के लिए उन्होंने यूनाइटेड बैंक से एक लाख रूपये का लोन लिया है। लोन पूरा करने के लिए उन्हें तीन साल तक तीन हजार पांच सौ रूपये देने होते हैं। एक बार ई रिक्शा चार्ज होने के बाद 70 किलोमीटर आराम से चल जाती है।

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क्षेत्र के लिए हैं मिसाल

रमाबाई आज पूरे राजनांदगांव जिले के लिए एक उदाहरण बनी हुई है। उनके पति और उनका परिवार भी उनके इस काम में साथ देता है।रमाबाई ने रिक्शा चलाने के काम को बहुत अच्छे में हैंडल किया। शुरूआत में जब असमाजिक तत्व उनके ई- रिक्शा में बैठ कर बदमाशी करते थें तो वह उन्हें बेहद प्यार से समझाती थी। आज क्षेत्र के लोग उनकी तारीफ करते हैं और साथ भी देते हैं।

   

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