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महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाने वाली इस्मत चुगताई के योगदान से नाटक के जरिए रूबरू हुए लोग
लखनऊ। जब मैं जाड़ों में "लिहाफ " ओढ़ती हूं तो पास की दीवार पर उसकी परछायी हाथी की तरह झूमती हुई मालूम होती है। और एकदम से मेरा दिमाग बीती हुई दुनिया के पर्दों में दौड़ने - भागने लगता है। न जाने क्या...
Vinay Gupta 16 Sep 2017 10:01 PM GMT