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लघु कथा : सुधार - हरिशंकर परसाई
सुधारएक जनहित की संस्था में कुछ सदस्यों ने आवाज उठाई, 'संस्था का काम असंतोषजनक चल रहा है। इसमें बहुत सुधार होना चाहिए। संस्था बरबाद हो रही है। इसे डूबने से बचाना चाहिए। इसको या तो सुधारना चाहिए या...
Jamshed Qamar 22 Aug 2019 7:00 AM GMT
"मैंने फाउंटेनपेन उसके हाथ में रख दिया, उसे जैसे ज़माने की दौलत मिल गई"
सूरज क्षितिज की गोद से निकला, बच्चा पालने से। वही स्निग्धता, वही लाली, वही खुमार, वही रोशनी। मैं बरामदे में बैठा था। बच्चे ने दरवाजे से झांका। मैंने मुस्कुराकर पुकारा। वह मेरी गोद में आकर बैठ गया।...
Jamshed Qamar 31 July 2019 7:30 AM GMT