‘बरबरी’ बकरी पालना आसान

दिति बाजपेईदिति बाजपेई   30 March 2016 5:30 AM GMT

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त्रिवेदीगंज (बाराबंकी)। हाईटेक फार्म बनाकर रत्नेश सिंह और विवेक सिंह बकरी पालन कर रहे हैं, जिससे वह अधिक लाभ तो कमा ही रहे हैं, साथ ही कम हो रही बरबरी बकरियों की प्रजाति को बढ़ावा भी दे

रहे हैं।

यह फार्म बाराबंकी जिला मुख्यालय से पूर्व दिशा में लगभग 32 किमी दूर त्रिवेदीगंज ब्लॉक के मोहम्मदपुर गाँव में है। रत्नेश और विवेक ने यह फार्म एक साल पहले शुरू किया था। विवेक (34 वर्ष) बताते हैं, “शुरू में हमारे पास बरबरी प्रजाति के दो बकरे और 21 बकरियां थे। अब कुल मिलाकर 70 बकरे-बकरियां हैं।’’ अपने फार्म के बारे में विवेक बताते हैं, “जिस विधि से इस फार्म को बनाया गया है उसे एलीवेटेड प्लास्टिक फ्लोरिंग स्टाल फेड विधि कहते हैं। इस फार्म को बनाने में पंद्रह लाख रुपए का खर्चा आया था।’’

वर्तमान समय में खत्म होते चारागाह और चारे की समस्या को देखते हुए यह विधि काफी सहायक हो सकती है। फार्म में सभी बारबरी प्रजाति की बकरियां हैं, जिन्हें चराने की जरूरत नहीं पड़ती है, क्योंकि ये सिर्फ चारा-दाना खाते हैं। इस प्रजाति को एक शेड के नीचे ही पाला जा सकता है। इनके बच्चे करीब 8-10 महीनों में वयस्क होते हैं। बकरी की खासियत बताते हुए रत्नेश बताते हैं, “एक बकरी पर रोजाना चारा-दाना खिलाने में लगभग 10-15 रुपए का खर्चा आता है। इनका वजन देशी बकरी के मुकाबले ज्यादा होता है।’’

पूरे विश्व में बकरियों की कुल 102 प्रजातियां उपलब्ध हैं, “जिसमें से सिर्फ 20 प्रजातियां ही भारतवर्ष में हैं। अपने देश में पाई जानी वाली विभिन्न नस्लें मुख्य रूप से मांस उत्पादन के लिए हैं। 19वीं पशुगणना के अनुसार भारत में 7.61 करोड़ बकरियां हैं।

त्रिवेदीगंज ब्लॉक के पशु चिकित्सक डॉ. ओमप्रकाश सिंह बताते हैं, “बकरी पालन एक अच्छा व्यवसाय है, जिससे कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। हमारे क्षेत्र में जो यह फार्म बना हुआ है। इसमें कभी भी बकरियों बीमारी होती हैं तो तुरंत इलाज किया जाता है। इस फार्म प्रेरित होकर से कई लोगों ने बकरी पालन शुरू किया है।’’ 

विवेक बताते हैं, ‘’फार्म को शुरू करने से पहले हमने दस दिन का केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा से प्रशिक्षण लिया उसके बाद इस फार्म की शुरुआत की। इस प्रशिक्षण को कोई भी ले सकता है और इसकी शुरुआत कर सकता है। 

मथुरा स्थित केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान एक साल में चार बार प्रशिक्षण देता है। इच्छुक व्यक्ति इस फॉर्म को वेबसाइट पर जाकर डाउनलोड कर सकते हैं।

 

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