आम में जल्दी आया बौर, रोग लगने का डर

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कानपुर। पहले रबी सीजन में बेमौसम बारिश और ओलावृष्ठि और खरीफ  के सीजन में पड़े सूखे से किसान पहले ही नुकसान उठा चुके हैं। इस सीजन की रबी की फसलें तो खड़ी हैं, लेकिन पर्याप्त ठंड नहीं पड़ रही है जिसके कारण फसलों को नुकसान हो रहा है।

”अगर ऐसे ही तेज धूप और गर्मी पड़ती रहेगी तो गेहूं के साथ चना और अलसी की फसल बर्बाद हो जाएगी।’’ रमईपुर से आए किसान विजय तिवारी का कहना है, ”अगर ऐसे ही गर्मी पड़ती रही तो समझो गेहूं का एक दाना घर नहीं आएगा। वहीं अगर एक से नौ जनवरी के मौसम के मिजाज पर नजर डाले तो इस वर्ष मौसम गर्म है।’’

आम के पेड़ों में समय से एक महीने पहले बौर आ चुके हैं। बिठूर निवासी रामरतन साहू का कहना है, ”हमार उम्र 80 के पार हो गई है, लेकिन इतने दशक हर किस्म के बदलाव देखें पर इस साल दिसंबर के महीने में ही आम के पेड़ में बौर आ गई है। जनवरी के पहले हफ्ते में ही आम के पेड़ में अमिया लग गई हैं।’’

”मेरे जीवन में ऐसा पहली बार देखने में आया है। मौसम में स्थिरता न होने के कारण कई पेड़ों में आए बौर में कीड़े लग जाने से खराब हो चुके हैं जबकि कई पेड़ों में आई अमिया भी रोग से पीडि़त हैं।’’ रानरतन आगे बताया हैं। 

गाँव के रोजगार सेवक राजू प्रजापति ने बताया,”बेरी के पेड़ों में मौसम का असर दिखाई दे रहा है, जिन बेरियों में बेर पक जाते थे उनमें अभी कच्चे बेर ही आये हैं। इस वर्ष बरसात न होने से सर्दी की शुरुआत काफी विलंब से हुई। देहात क्षेत्र में भी पारा 20 डिग्री के ऊपर चल रहा हैं।’’

”वायु प्रदूषण और कंकरीट के प्रयोग से बीते 26 सालों में दिन के तापमान में औसतन 0.49 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी हुई है।’’ चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. अनिरुद्ध दुबे ने बताया, ”जनवरी के दूसरे सप्ताह में दिन और रात के तापमान में दिख रहा दो गुने से अधिक अंतर मौसम, फसलों और स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। दिन का पारा चढ़ा होने से ठंड महसूस नहीं हो रही। वहीं, बारिश न होने से सुबह की नमी भी लगातार 95 फीसदी बनी है। इससे वातावरण में उमस बढ़ रही है।’’

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