लखनऊ। राजधानी से लेकर श्रावस्ती तक और कानपुर देहात से लेकर सोनभद्र तक बाढ़ के प्रकोप के साथ बदहाल सड़क और पुलों ने लोगों का जीवन बेहाल कर दिया है। ऐसे-ऐसे गाँव हैं, जिनसे इस बारिश के दौरान लोग बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं। यहां नदी पर वर्षों से पुल नहीं बने और बढ़ी हुई नदियों में नाव चलाने को लोग तैयार नहीं हैं। यही नहीं खराब संपर्क मार्ग भी गाँव वालों की दुश्वारियों का सबब बने हुए हैं।
अपने स्वयं प्रतिनिधियों के सहयोग से हमने प्रदेश के प्रभावित जिलों के बारे में जानकारी जुटाई, तब हमने लोगों की पीड़ा को बहुत करीब से समझा। ये बारिश केवल पानी ही नहीं लाखों ग्रामीणों के लिए मुसीबतें भी बरसा रही है।
लखनऊ मलिहाबाद से स्वयं प्रतिनिधि पत्रकारिता छात्र उदय बी यादव (24 वर्ष) बताते हैं, “यहां एक ओर तो आगरा एक्सप्रेस वे का निर्माण किया जा रहा है तो दूसरी ओर लिंक मार्ग की बदहाली बारिश के मौसम में रूला रही है। यहां हरदोई रोड से अदौरा-सामद, हरदोई रोड से दौलतपुर मवई हरदोई रोड से ईसापुर-कहला, हरदोई रोड से हबीब पुर- खालिशपुर हरदोई रोड से काकोरी नरौना पतौना का बुरा हाल है। लगभग 25 हजार की आबादी के 35 गाँव इससे प्रभावित हो रहे हैं। यहां पीडब्ल्यूडी के अवर अभियंता अपने हालिया तैनाती का रोना रो रहे हैं।”
रईस अहमद इण्टर कालेज इटवा सिद्धार्थनगर स्वयं प्रतिनिधि विवेक कुमार चौरसिया (19 वर्ष) ने बताया, “यहां 10 साल में पहले कभी ऐसी बाढ़ नहीं आई। हल्की से भी बरसात होने पर गाँवों से निकलना मुश्किल हो जाता है, मगर इन दिनों तो और बुरा हाल है। ऐसे में इटवा ब्लॉक के ढेकहरी खुर्द से हाटी को जोड़ने वाला आरा नाला का पुल आधे से ज्यादा टूटकर बह गया है। पुल टूटने से गाँव का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।” गाँव के बंशीलाल (55 वर्ष) कहते हैं, “पुल टूटने से हमारा निकलना मुश्किल हो गया है, अभी आधा पुल टूटा है, जिस दिन पूरा टूट गया हम लोगों का गाँव से ही नहीं निकल पाएंगे। दूसरी ओर बढ़नी से ढेबरूआ तक प्रधानमंत्री सड़क योजना के अन्तर्गत बनी हुई सड़क बिल्कुल टूटकर नष्ट हो चुकी है। इसकी वजह से आये दिन दुर्घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं।”
ढेबरुआ के रहने वाले रामचन्द्र चौरसिया (45 वर्ष) बताते हैं, “सड़क इतनी ज्यादा खराब हो गयी है अभी व्यक्ति की मौत भी हो गई तब भी इस पर किसी नेता या प्रशासन का ध्यान नहीं पड़ रहा है। बरसात के इस मौसम में गाड़ियों की कौन कहे पैदल चलना भी मुश्किल है अगर इसका जल्द से जल्द निर्माण नहीं कराया गया तो आये दिन दुर्घटनाएं और भी बढ़ जायेगी।”
प्रखर प्रतिभा इन्टर कालेज बैरी असई, मैथा ब्लॉक कानपुर देहात की छात्र पत्रकार उमा शर्मा, कक्षा-11, (17 वर्ष) आलोक मिश्रा कहते हैं, “जब भौसाना पुल से गुजरना होता है, मन में एक डर रहता हैं कहीं ये पुल टूट न जाये। पिछले 10 महीने से शिवली-शिवराजपुर के मुख्य मार्ग का भौसाना पुल में एक बड़ा गड्ढा है। इस पुल से प्रतिदिन सैकड़ों गाँव के लोग और 100 से ज्यादा ट्रक और टैम्पो निकलती है।”
कानपुर से 45 किलोमीटर दूर शिवराजपुर ब्लॉक से दक्षिण दिशा में भौसाना गाँव के सामने एक पुल है। इस पुल को टूटे हुए पूरे दस महीने हो गये हैं। गढ्ढे के ऊपर लकड़ियां रख दी गयी हैं। पुल के गड्ढे के बगल से हजारों लोग प्रतिदिन गुजरते हैं। छोटे-छोटे हादसे तो आये दिन होते रहते हैं, इस वजह से बारिश में दिक्कतें अधिक बढ़ गई हैं। एसडीएम बिल्हौर कानपुर आलोक कुमार ने बताया कि इस पुल के गड्ढे के बारे में हमे जानकारी है। पुल बनने का पूरा स्टीमेट तैयार हो गया है। जैसे ही बम्बे(नहर) का पानी कम होगा काम शुरू करा दिया जायेगा।
सोनभद्र के इस गाँव में तीन महीने आना मना है
सोनभद्र से श्याम महाविद्यालय चोपन सिंदुरिया में बीए की छात्रा स्वयं प्रतिनिधि अमृता पाल (20 वर्ष) ने बताया कि सोनभद्र के चोपन ब्लॉक के गाँव कनहैरा का बहुत बुरा हाल है। ये गाँव बिजुल नदी के किनारे है। इसमें रिहंद और ओबरा डैम का पानी बारिश में छोड़ दिया जाता है। इस वजह से यहां नाव भी नहीं चलती है। जिसके चलते तीन महीने तक इस गाँव के लोग गाँव के बाहर नहीं आ पाते हैं। जो इस पार हैं, उसको दूसरी ओर जाना संभव नहीं होता है। अगर कोई बीमार है तो उसकी मौत का इंतजार करना ही एकमात्र उपाय होता है।
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क