बाढ़ ने बढ़ाई महंगाई

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लखनऊ। खेतों में भरते बाढ़ के पानी को क्या आप बस किसान की ही मुसीबत मानते हैं। तो आप गफलत में हैं। बारिश का ये मौसम महंगाई की मार भी लेकर आया है। जून में देश के कुछ हिस्सों में मानसून आने के बाद से ही महंगाई बढ़ती जा रही है, जिसका सबसे ज्यादा असर सब्जी के बाजार में दिख रहा है।

लखनऊ के बाजारों में ही एक बार फिर से मौसमी सब्जियों के दामों में जबरदस्त इजाफा पिछले एक महीने में ही देखने को मिला है। बाजार में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी नजर आ रही है। आलू, टमाटर और प्याज जैसी सामान्य सब्जियों के अलावा सभी मौसमी सब्जी बहुत महंगी हुई हैं।

कुर्सी रोड थोक सब्जी मंडी के कारोबारी परमेश्वरदीन ने बताया कि लखनऊ में अवध क्षेत्र के आसपास के जिलों से सब्जी लाई जाती है। जहां बारिश की वजह से पानी खेतों में है, जिसके चलते मांग के अनुरूप सब्जी की सप्लाई कर पाना संभव नहीं हो रहा है। बाजार में आवक कम होने के चलते दामों में ये बढोतरी दर्ज की जा रही है।

  • देश भर में महंगाई के बढ़ने का असर जगह जगह आ रही बाढ़
  • सबसे ज्यादा असर सब्जी पर, एक सप्ताह में 25 फीसदी बढ़े रेट
  • टमाटर और आलू पर सबसे अधिक पड़ा असर, बाकी सब भी महंगा

थोक और फुटकर में भी काफी अंतर

थोक बाजार जहां पसेरी यानी पांच किलों के हिसाब से सब्जी बेची जाती है, वहां और फुटकर रेट में काफी अंतर है। लखनऊ में नरही मंडी के सब्जी विक्रेता उस्मान ने बताया कि थोक बाजार में अगर आप टमाटर खरीदेंगे तो वो आपको 160 से 180 रुपये का पांच किलो मिल जाएगा। जो किलो के हिसाब 40 से 50 रुपए के बीच होता है। मगर फुटकर कारोबारी लाभ के लिए इस टमाटर को 70 से 80 रुपए किलो में बेचते हैं, तभी उनको लाभ होता है।

सब्जी            दाम किलो में पिछले सप्ताह     इस सप्ताह

आलू               20 रुपए                  25 रुपए

टमाटर             60 रुपए                  70 से 80 रुप   

प्याज              15 रुप                  20 रुप

भिंडी               20 रुप                  30 रुप

लौकी               20 रुप                 30 रुप

तुरई                25 रुप                 35 रुप

बैगन               30 रुप                  40 रुप

जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर के पहले 15 दिन सब्जी की फसलों के अनुकूल नहीं होते हैं। ज्यादातर सब्जी की फसल तराई वाली जगह पर होती है। जब बारिश होती है, तब पानी भरने से उत्पादकता कम होती है। जबकि बाजार की जरूरत कम नहीं होती है। इसलिये महंगाई बढ़ जाती है। जिसका असर हमको इन दिनों देखने को मिल रहा है।

डीके सिंह, जिला कृषि अधिकारी

रिपोर्टर – ऋषि मिश्र

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