नई दिल्ली। भारत को अगले साल स्वदेशी रूप से निर्मित एक सुपरकम्प्युटर मिल जाएगा। ऐसा सरकार के 4,500 करोड़ रुपये के उस कार्यक्रम के तहत होगा जिसका उद्देश्य भारत को उन अभिजात देशों के वर्ग में शामिल करना है जिन्होंने इस क्षेत्र में प्रगति की है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव आशुतोष शर्मा ने कहा कि इस परियोजना को ‘सेंटर फॉर डेवलपमेंट आफ एडवांस्ड कम्प्युटिंग’ संभाल रहा है जिसने भारत के पहले सुपरकम्प्युटर ‘परम’ का निर्माण किया था।
उन्होंने कहा कि सरकार ने मार्च में नेशनल सुपरकम्प्युटिंग मिशन की योजना को मंजूरी दी थी। इसके तहत अगले सात सालों में 80 सुपरकम्प्युटरों का निर्माण किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ”उनमें से कुछ आयातित होंगे और बाकी का निर्माण स्वदेशी रूप से किया जाएगा।” शर्मा ने कहा, ”हम इस पर काम कर रहे हैं कि गर्मी को कैसे नियंत्रित किया जाए। इन सुपरकम्प्युटरों को चलाने का खर्च ही करीब एक हजार करोड़ रुपये होगा।”
शर्मा ने कहा कि नये सुपरकम्प्युटरों को देशभर में अलग-अलग संस्थानों में रखा जाएगा। उन्होंने कहा, ”एक सुपरकम्प्युटर का इस्तेमाल विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है जैसे जलवायु मॉडलिंग, मौसम पूर्वानुमान, दवाओं की खोज आदि।’’ फिलहाल विश्व की शीर्ष सुपरकम्प्युटिंग मशीनों में से एक बड़ा हिस्सा अमेरिका, जापान, चीन और यूरोपी संघ के पास है।