मुंबई (भाषा)। महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के पंढरपुर में बहने वाली प्राचीन भीमा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने और ‘नमामि चंद्रभागा’ परियोजना के जरिए इसकी निर्मलता को बहाल करने की कोशिश की है।
यह परियोजना वित्त मंत्री सुधीर मुनगंतीवार की सोच की उपज है। इस परियोजना का जिक्र सबसे पहले उनके इस साल के बजट भाषण में किया गया था। इसमें उन्होंने नदी का चेहरा वर्ष 2019 तक बदल देने की बात कही थी। जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, भीमा को सोलापुर जिले के पंढरपुर में ‘चंद्रभागा’ कहा जाता है क्योंकि यह आधे चांद जैसी लगती है।
यह महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना से होती हुई 861 किलोमीटर के क्षेत्र में दक्षिणपूर्व की ओर बहती है। इसके बाद यह कृष्णा नदी में प्रवेश कर जाती है। मुनगंतीवार ने कहा, ‘‘नदी पंढरपुर में प्रदूषित हो जाती है, जो कि एक पवित्र स्थल है। हम एक जून को पंढरपुर में बैठक आयोजित करेंगे ताकि परियोजना पर चर्चा की जा सके। इसमें विशेषज्ञ शामिल होंगे। हमने देशभर से लगभग 200 विशेषज्ञों को बुलाया है। इनमें से कुछ विशेषज्ञ गंगा पुनरुद्धार परियोजना पर भी काम कर रहे हैं।”
मंत्री के समक्ष विभिन्न विभागों ने शुरुआती प्रस्तुति दी। इन विभागों में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी शामिल है। अपनी रिपोर्ट में उसने भीमा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण को रेखांकित किया है। इंद्रायणी, मुला और मुथा भीमा की बड़ी सहायक नदियां हैं, जो पुणे जिले में सीवर के पानी के कारण प्रदूषित हो जाती हैं।
मुनगंतीवार ने कहा कि सरकार का ध्यान पंढरपुर पर केंद्रित है क्योंकि यह एक पवित्र स्थान है और एक साल में दो बार लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह पवित्र स्थानों को प्रदूषणमुक्त बनाने की दिशा में पहला कदम है और हम चंद्रभागा से शुरुआत करेंगे।” विस्तृत परियोजना के अंतिम रुप ले लेने के बाद इसपर आने वाले खर्च का आकलन होगा।