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भविष्य में हड़ताली डॉक्टरों पर हत्या का मुकदमा: हाईकोर्ट

India

लखनऊ। केजीएमयू में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अख्तियार किया है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि भविष्य में अगर डॉक्टरों की ओर से हड़ताल की गयी तो उन पर हत्या का मुकदमा चलेगा। 

अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि जिला जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जाए और सरकार मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपए दें। हाईकोर्ट का यह फैसला केजीएमयू मेडिकल कॉलेज में तीन दिनों तक चली जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बाद आया है। इस हड़ताल के दौरान 20 मरीजों की मौत हो गई थी। 

हाईकोर्ट ने गुरुवार को सरकारी वकीलों से उन डॉक्टरों की लिस्ट मांगी है जिन्होंने मरीजों का इलाज नहीं किया है। कोर्ट का कहना है कि किसी भी हालत में इमरजेंसी सेवाएं नहीं बाधित होनी चाहिए। 

वहीं केजीएमयू के डॉक्टर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर कड़ा विरोध जता रहे हैं। ट्रामा की डॉक्टर सुष्मिता गुप्ता कहती हैं, ‘’मैं इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से कतई इत्तेफाक नहीं रखती। हम हड़ताल पर नहीं थे। हम सिर्फ़ अपना विरोध जता रहे थे।”

उन्होंने कहा कि किसी को इमरजेंसी में दाखिला लेने से नहीं रोका गया। हमारे अस्पताल में सामान्य हालत में महीने में करीब 40 मौतें होती हैं। अचानक हुई चार मौतों के लिए हमें ज़िम्मेदार ठहरा दिया गया। चार में से दो मामले न्यूरो सर्जरी के थे। बाक़ी के दो लोग इतनी बुरी हालत में आए थे कि आते ही उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

इस मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रमुख एमएल भार्गव की मानें तो, ‘’ऐसे हालात पैदा ही नहीं किए जाने चाहिए थे कि डॉक्टरों को हड़ताल पर जाना पड़े। मैं माननीय कोर्ट के फैसले पर कोई भी टिप्पणी नहीं करना चाहता।

जो हुआ गलत हुआ। किसी भी कीमत पर मरीजों का इलाज नहीं रुकना चाहिए।” उन्होंने कहा, “केजीएमयू में जो कुछ हुआ उससे हमारे होनहार डॉक्टरों का भविष्य भी खतरे में पड़ गया है। जिसकी वजह से ये हड़ताल हुई सबसे पहले उसे सज़ा मिलनी चाहिए।’’

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