इटवा (सिद्धार्थनगर)। सम्पूर्ण विश्व को शान्ति का संदेश देने वाले राजकुमार सिद्धार्थ
के नाम पर बने जिला सिद्धार्थनगर के पहले नागरिक ग्राम प्रधान के तीन परिवार अब तक
चुनावी रंजिश में मौत के शिकार हो चुके हैं।
बीते वर्ष
दिसम्बर 2015 में प्रधानी
चुनाव जीतने पर शपथ ग्रहण के बाद नये प्रधानों का कार्यकाल शुरू हुआ। तभी से
चुनावी रंजिश में मार पीट की घटनायें शुरू हुईं। चुनावी रंजिश के मारपीट की हद ने
हत्या रूप का ले लिया। बीते 31 जनवरी 2016 से 11 जुलाई 2016 के बीच कुल पांच
माह दस दिन के भीतर जिले की तीन ग्राम प्रधानों के परिवार के सदस्यों की जान जा
चुकी है। कुल मिलाकर औसत देखा जाये तो इस जिले में लगभग सात माह के बीच तीन मौतें
हो चुकी है। वैसे तो अब तक विभिन्न थानों
में मारपीट की अब तक कई घटनायें हो चुकी होंगी।
सिद्धार्थनगर
मण्डल अध्यक्ष राष्ट्रीय पंचायत ग्राम प्रधान ताकीब रिज़वी ने बताया ग्राम प्रधानों
की सुरक्षा के लिये असलहा की मांग सरकार से की गयी है। मृतक परिवार को बीस लाख
रुपए देने की मांग की गयी है। उनके अनुसार चुनावी रंजिश की घटना को पुलिस गम्भीरता
से नहीं लेती है। राजनीतिक समर्थन से पक्षों का मनोबल बढ़ता है। इस पर विराम लगना
चाहिये।
मौत के आग़ोश में
सोने वाले प्रधान के परिवार
31 दिसम्बर 2015 की रात, इटवा थाना, खुनियांव ब्लाक
के ग्राम भिलोरी में ग्राम प्रधान कुसुम पत्नी दिनेश उर्फ बब्लू की 70 वर्षी सास दुलारी पत्नी राम प्यारे की मौत हुई
थी, परिवार के लोग घायल।
21 मई 2016 की सुबह, थाना ब्लॉक उस्का के ग्रामसभा मदनपुर के ग्राम प्रधान
सुभावती देवी के 50 वर्षीय पति
लालमोहर की तड़के निर्मम हत्या कर हमलावर सिर उठा ले गये थे और लाश को वहीं छोड
दिया था। सिर कटी लाश देख कर उस गाँव सहित पूरे जिले में दहशत फैल गयी थी।
11 जुलाई 2016 के दोपहर, इटवा थाना खुनियांव ब्लाक के ग्राम गौराबाजार के प्रधान
सुन्दरी सोनी के 55 वर्षीय पति
रामानन्द सोनी की गाँव के पूरब झाड़ में संदिग्ध परिस्थिति में लाश पायी गयी।
अन्य घटनायें
इसके अलावा इटवा
थाना के ग्राम बेलहसा तथा ग्राम सुहेलवा में चुनावी रंजिश में मारपीट हुआ। ढ़ेबरूआ
थाना के ग्राम खजुरिया के ग्राम प्रधान रमेश पर जानलेवा हमला हुआ। वह गम्भीर रूप
से घायल हुए। जानकारों का कहना है कि चुनावी रंजिश की घटनाओं को पुलिस ने गम्भीरता
से नहीं लेती है इसी लिये आगे चल कर यह विकराल रूप धारण कर लेता है।
सख़्त कानून बनाया
जाए
जानकारों का
सुझाव है कि सिर्फ असलहा की मांग से ग्राम प्रधानों की सुरक्षा नहीं होगी। इसके
लिये सरकार संयुक्त प्रान्त पंचायत राज अधिनियम 1947 की धारा 14 में प्रधानों को
हटाने के नियम सख्त किये गये हैं उसी प्रकार सरकार इस अधिनियम की धारा 110 के तहत प्रधानों की सुरक्षा के नियम बनाये।
ऐसा नियम होना चाहिये कि जो व्यक्ति चुनावी रंजिश में मारपीट करता है तो उसको या
उसके समर्थकों को ग्रामसभा में पांच साल तक चुनाव लडने से अयोग्य घोषित किया जाये।
इसके साथ अन्य सख्त नियम बनाने के बाद ग्राम प्रधानों की सुरक्षा सम्भव हो
सकेगी।
रिपोर्टर- निसार अहमद खान