डॉक्टर आठ हैं लेकिन रात में मिलते कभी नहीं

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गिलौला(श्रावस्ती)। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गिलौला पर स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बदहाल है। चिकित्सक बेपरवाह हैं तो इमरजेंसी सेवा ध्वस्त हैं। अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि यहां तैनात चिकित्सकों में से कई को स्टाफ  के लोग ही नहीं पहचानते हैं। महीने दो महीने में वे एक बार सिर्फ अपनी सूरत दिखाने के लिए आते हैं। चिकित्सकों के रात्रि विश्राम न करने से रात्रि कालीन सेवाएं फार्मासिस्टों के सहारे चलती हैं। 

गिलौला विकास खंड में लगभग दो लाख की आबादी है। लोगों को अव्वल दर्जे की स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके इसलिए शासन स्तर से यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एमडी स्तर सहित एमबीबीएस, बीयूएमएस चिकित्सकों की तैनाती की गई है। गिलौला सीएचसी में दो महिला समेत कुल आठ चिकित्सकों की तैनाती है। सभी चिकित्सकों को आवास आवंटित है और निर्देश है कि सभी अपने आवास पर ही रात्रि विश्राम करेंगे। बावजूद इसके कोई चिकित्सक यहां रुकता नहीं है। गिलौला निवासी रामनरेश (46 वर्ष) बताते है, “कुछ भी फायदा नहीं हो रहा इस हॉस्पिटल से। जब भी यहां आओ तो पता चलता है डॉक्टर साहब छुट्टी पर हैं। इसीलिये यहां आना ही छोड़ दिया। जब भी कोई बीमार होता है तो अच्छा है प्राइवेट डॉक्टर को दिखा लो।”

यहां तैनात डॉक्टर अरविंद महीने में एक आध बार ही दिखाई पड़ते है, जबकि महिला चिकित्सक डॉ. सोनल मिश्र बहराइच में नर्सिंगहोम चलाती हैंं। महिला चिकित्सक डॉ. प्राची गोयल को यहां तैनात स्टाफ के लोग ही नहीं पहचानते हैं। डॉ. अंकित अग्रवाल कभी कभार आते हैं। आयुष चिकित्सक डॉ. आशुतोष और डॉ. अनीश के जिम्मे आउट डोर की सुविधाएं चलती हैं। 

संस्थागत प्रसव कराया जा रहा है लेकिन यह कार्य अप्रशिक्षित दाई व स्टाफ नर्स के भरोसे चल रहा है। स्थिति में जरा सी गंभीरता होने पर तत्काल जिला चिकित्सालय बहराइच के लिए रेफर कर दिया जाता है। 

गिलौला सीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. एसबी सिंह ने बताया, “मेरे अलावा कोई चिकित्सक यहां रात्रि विश्राम नहीं करता है। चिकित्सकों के ड्यूटी पर न आने तथा रात्रि विश्राम न करने संबंधी पूरी रिपोर्ट मुख्य चिकित्साधिकारी को दी गई है। सारी जानकारी उनको है। कार्रवाई उन्हीं के स्तर से होनी है।”

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