नई दिल्ली। देश भर में रेलगाड़ियों में बायोटॉयलेट लगाने का अभियान जोरों पर है। इसी सिलसिले में रामेश्वरम-मनमदुरई रेलमार्ग पर चलने वाली सभी रेलगाड़ियों में बायोटॉयलेट फिट कर दिए गए हैं। इस तरह से रामेश्वरम-मनमदुरई रेलमार्ग देश का पहला ग्रीन ट्रेन कॉरीडोर बन गया है। रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हरी झंडी दिखाकर रामेश्वरम-मनमदुरई ग्रीन कॉरिडोर की शुरुआत की।
रामेश्वरम-मनमदुरई रेलमार्ग के बाद ओखा-कनालास जंक्शन (141 किलोमीटर) रेलमार्ग, पोरबंदर-वन्सजालिया (34 किलोमीटर) और जम्मू-कटरा (78 किलोमीटर) रेलमार्ग को पटरियों पर गिरने वाले मलमूत्र से मुक्त किया जाएगा। इसके लिए इन सभी रेलमार्गों पर चलने वाली गाड़ियों में बायोटॉयलेट लगाने का काम जारी है और इसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को अमली जामा पहनाने के लिए रेल मंत्रालय ने रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों को स्वच्छ रखने का काम तेज़ी से शुरू किया है। इसी सिलसिले में रेलगाड़ियों में बायोटॉयलेट लगाने का काम शुरू किया गया था। इससे जहां एक तरफ रेलवे लाइन पर मलमूत्र गिरने से होने वाली गंदगी को रोका जा सकेगा वहीं टॉयलेट में पानी के इस्तेमाल की बरबादी को भी कम किया जा सकेगा।
2019 तक सभी ट्रेनों में बायोटॉयलेट
30 जून तक रेल मंत्रालय ने यात्री डिब्बों में 40,750 बायोटॉयलेट फिट कर दिए हैं। मौजूदा वित्त वर्ष में रेलवे की 30,000 और बायोटॉयलेट लगाने की योजना है। रेलवे का लक्ष्य है कि सितंबर 2019 तक पूरे देश में सभी रेलगाड़ियों में सिर्फ बायोटॉयलेट ही लगे होंगे। इस तरह से 2019 तक पूरे देश में रेलवे लाइनों पर गिरने वाले मलमूत्र से देश को मुक्ति मिल जाएगी।