गन्ने के साथ दूसरी फसलों की खेती करके कमाएं दोगुना मुनाफा

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पीलीभीत। गन्ना विभाग शरदकालीन गन्ना बुवाई सीजन में  बुवाई विधि बदलने जा रहा है, जिससे गन्ना किसानों को लाभ होगा। इस विधि से गन्ने के साथ अन्य सह फसलों की खेती भी की जा सकती है, जिससे आर्थिक स्थिति भी समृद्ध हो सकेगी। गन्ने की पैदावार भी बढ़ेगी। जनपद में मुख्यत: धान, गन्ना व गेहूं की खेती की जाती है। गन्ना मूल्य भुगतान में विलंब के बावजूद किसानों का गन्ने के प्रति मोहभंग नहीं हो रहा है। 

गन्ना बुवाई में किसान पुरानी पद्धति ही अपनाता है, जिससे फसल की बेहतर पैदावार नहीं मिल पाती है। अब गन्ना विभाग ने बुवाई की विधि में बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिला गन्ना अधिकारी राजेश्वर यादव ने बताया कि अक्टूबर में होने वाली शरदकालीन बुवाई में ट्रैंच विधि का उपयोग किया जाएगा।

इस विधि में नाली से नाली की दूरी चार फिट की होती है, जिससे गन्ने की बेहतर ढंग से बढ़वार हो जाती है। दोनों नालियों के बीच सह फसली के रूप में मटर, आलू, प्याज, लहसुन, धनिया आदि की फसल उगा सकते हैं। अलग से खाद-पानी देने की आवश्यकता नहीं होगी। इस विधि से उत्पादन सामान्य उत्पादन से 25 प्रतिशत अधिक होगा। सामान्य विधि में 74 कुंतल प्रति हेक्टेयर पैदावार रिकार्ड की गई। उन्होंने बताया कि ट्रैंच विधि के बारे में किसानों को जानकारी दी जा रही है।

712 गाँवों में हो चुका गन्ना सर्वे 

पीलीभीत। जिलेभर के 712 गाँवों में जीपीएस पद्धति से गन्ना सर्वे का कार्य पूरा हो चुका है। गन्ना सर्वे का कार्य जून महीने भर किया जाएगा। प्रत्येक दिन के गन्ना सर्वे की देखरेख तीन स्तर से की जा रही है। गन्ना सर्वे की फोटो राज्य मुख्यालय भेजी जा रही है। प्रत्येक किसान सर्वे के दौरान मौजूद रहे, जिससे वह सर्वे से वंचित नहीं रहेगा। एक मई से जनपद में जीपीएस पद्धति से गन्ना सर्वे कार्य शुरू किया गया था। जिसमें चीनी मिलों व गन्ना विकास विभाग के स्टाफ को लगाया गया था। जीपीएस पद्धति से गन्ना सर्वे से पूरी तरह पारदर्शिता रहती है।

खेत की चारों भुजाओं की लंबाई नापने के बाद सीधे किसान के मोबाइल पर सर्वे का एसएमएस भेजा जा रहा है। जनपद में 1313 गाँव हैं, जिनमें से 712 गाँवों में गन्ना सर्वे का काम पूरा हो चुका है। प्रत्येक टीम शेड्यूल के अनुसार ही गाँवों को रवाना हो जाती है। जिला गन्ना अधिकारी राजेश्वर यादव का कहना है कि गन्ना सर्वे का कार्य जून तक किया जाएगा। अगर किसी किसान के खेत का सर्वे नहीं हुआ है, तो वह गन्ना पर्यवेक्षक से संपर्क कर उस दिन खेत पर उपस्थित हो।

वर्तमान में 712 गाँवों का सर्वे पूरा किया जा चुका है। गन्ना सर्वे की तीन स्तर पर मॉनीटरिंग की जाती है। पहली जिला स्तर, दूसरी मंडल स्तर पर, तीसरी राज्य स्तर पर। रोजाना सर्वे के फोटो राज्य मुख्यालय को भेजे जाते हैं। अब छोटे प्लाट रह गए हैं, जिनका सर्वे करने में दिक्कत नहीं आएगी।

 

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