गोमती नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर भाकियू का जल सत्याग्रह

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गोमती नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर भाकियू का जल सत्याग्रहgaonconnection

बाराबंकी। गोमती नदी में प्रदूषण और पुल पर आने-जाने वाली वसूली के विरोध में सिल्हौर घाट पर भारतीय किसान यूनियन का चल रहा अनिश्चितकालीन जल सत्याग्रह आंदोलन सोमवार को तीसरे दिन भी जारी रहा।

सिल्हौर घाट पर किसानों द्वारा पिछले वर्ष नदी पर पुल बनाने की मांग को लेकर जल सत्याग्रह आन्दोलन किया गया था और उसके बाद मौके पर तमाम आलाधिकारी और कैबिनेट मंत्री अरविन्द सिंह गोप द्वारा आश्वासन के बाद पीपे वाला पुल बनाया गया था लेकिन अब उस पीपे वाले पुल से जाने के लिए वसूली हो रही है जिसके विरोध में किसान यूनियन ने एक बार फिर जलसत्याग्रह आन्दोलन शुरू कर दिया है।

सोमवार को आंदोलनकारियों ने प्रदेश सरकार का जमकर विरोध करते हुए कहा कि किसानों का हितैशी बताने वाली सपा सरकार अब हम किसानों की सुध नहीं ले रही है। आज तीन दिन से जल सत्याग्रह आंदोलन चल रहा है लेकिन अब तक न तो कोई मंत्री और न ही इस क्षेत्र का विधायक दिखाई दिया है। यह हमारे क्षेत्र की विडंबना है कि इस क्षेत्र का विधायक प्रदेश सरकार में मंत्री है, उसके बाद भी किसानों की मांगें पूरी नहीं हो रही हैं।

किसान नेता रामसुरेश तिवारी ने कहा, “नदी का पानी इतना जहरीला है कि कीड़े-मकौड़े और मछलियां मर रही हैं। जलसत्याग्रहियों की जान को खतरा है, फिर भी जब तक मांगें नहीं मानी जाएंगी तब तक हम लोग ऐसे ही डटे रहेंगे।” भाकियू के महामंत्री संजय पांडेय ने कहा, “यदि हम आंदोलनकारियों को कोई भी क्षति पहुंचती है तो उसका जिम्मेदार शासन प्रशासन होगा।”

जिला उपाध्यक्ष देव नरायन शर्मा ने कहा कि हमारे तीन कार्यकर्ताओं ने नदी के जहरीले पानी में 24 घंटे रहने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि महामंत्री संजय कुमार पांडेय, उदय नारायण पाठक और दीनदयाल रावत ने पानी में 24 घंटे लगातार रहने का संकल्प लिया है। जिलाधिकारी अजय यादव का कहना है कि मामले की जानकारी शासन स्तर तक भेजी गयी है, जैसा दिशा निर्देश मिलेगा, उसके बाद कार्रवाई होगी।

 

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