चंडीगढ़ (भाषा)। हरियाणा कैबिनेट ने जाटों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण प्रदान करने के लिए आज एक विधेयक को मंजूरी दे दी। जाटों ने अपनी मांग को लेकर सरकार को तीन अप्रैल तक का समय दिया था।
कैबिनेट की मंजूरी के साथ ही विधेयक को 31 मार्च से पहले विधानसभा में पेश किए जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जाटों और चार अन्य जातियों जाट सिख, रोर, बिश्नोई और त्यागी को आरक्षण देने पर मसौदा विधेयक को यहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई।
विधेयक को विधानसभा के वर्तमान बजट सत्र में लाए जाने की संभावना है जो 31 मार्च तक चलेगा। भाजपा सरकार ने आश्वासन दिया था कि वह बजट सत्र में विधेयक लाएगी। जाट नेताओं ने अपनी मांग को लेकर तीन अप्रैल तक की मोहलत दी थी। सूत्रों ने बताया कि विधेयक पिछडा वर्ग श्रेणी में नया वर्गीकरण कर जाटों, चार अन्य जातियों को आरक्षण देने की बात कहता है।
उन्होंने बताया कि सरकार इन समुदायों के लिए शिक्षण संस्थानों तथा तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध कराना चाहती है। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने प्रथम और द्वितीय श्रेणी की नौकरियों में इन जातियों के लिए छह प्रतिशत आरक्षण प्रस्तावित किया है।
उन्होंने बताया कि जाटों को आरक्षण देने के अतिरिक्त हरियाणा सरकार ने स्थाई हरियाणा पिछडा वर्ग आयोग की स्थापना के लिए अलग से एक विधेयक लाना भी प्रस्तावित किया है। जाटों की मांग को पूरा करने की दिशा में यह पहला कदम है जिन्होंने पिछले महीने हरियाणा में हिंसक प्रदर्शन किए थे और धमकी दी थी कि यदि तीन अप्रैल तक आरक्षण कानून नहीं लाया जाता है तो वे अपना आंदोलन फिर से शुरु कर देंगे।
उन्होंने 18 मार्च से अपना आंदोलन फिर शुरू करने की धमकी दी थी, लेकिन भाजपा सरकार से यह आश्वासन मिलने पर कि वह वर्तमान बजट सत्र में विधेयक लाएगी, उन्होंने इसे तीन अप्रैल तक के लिए टाल दिया था।