एटा। ई-आधार कार्ड निजी बैंकों को स्वीकार नहीं है। विशिष्ट पहचान पत्र माने जाने वाले दस्तावेज के डिजिटल प्रिंट से बैंक और मोबाइल कंपनियां तौबा कर रहे हैं। इससे ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं बैंकों और सेल्युलर कंपनियों की मनमानी का दुकानदार फायदा उठा रहे हैं। वे ई-आधार को असली बनाकर ग्राहकों को ठगने में लगे हैं।
वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिजिटल इंडिया का नारा देकर देश को हाईटेक बनाने की राह पर ले जा रहे हैं। साथ ही प्रदेश सरकार भी दस्तावेजों को डिजिटलाइज्ड कर रही है। लेकिन यह डिजिटाइजेशन निजी बैंकों को रास नहीं आ रही है। निजी बैंकें पोस्ट से घर आने वाले आधार कार्ड को ही मान्य करती हैं। उपभोक्ता आधार कार्ड का डिजिटल प्रिंट लेकर पहुंचते हैं, तो उनको वापस कर दिया जाता है। इसके साथ ही मोबाइल कंपनियां भी पहचान पत्र के रूप में पोस्ट से आए आधार कार्ड को ही मान्य करती हैं। ऐसे में ग्राहकों की टेंशन बढऩा लाजिमी है।
शहर के उपभोक्ता राजीव कुमार ने कचहरी रोड पर संचालित हो रही एक निजी बैंक में ई-आधार के साथ अपना प्रार्थना पत्र दिया। लेकिन बैंक ने उसे विशिष्ट पहचान पत्र मानने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही एक अन्य उपभोक्ता मोहित ने एक मोबाइल कंपनी की सिम को खरीदने के लिए ई-आधार को जमा किया, तो उसे भी कंपनी ने वापस भेजकर पोस्ट वाला आधार कार्ड लाने को कहा।
ई-आधार मान्य न होने से उपभोक्ताओं की दिक्कत बढ़ गई है। वहीं इसका फायदा दुकानदार उठा रहे हैं। वे इंटरनेट से ई-आधार को डाउनलोड करते हैं। उसे नीचे से काटकर लेमिनेशन करके असली आधार कार्ड का रूप दे दिया जाता है। जिसे निजी बैंक और मोबाइल कंपनियां तुरंत स्वीकार कर लेती हैं। लेकिन इस काम में उपभोक्ता को जेब ढीली करनी पड़ती है। उपभोक्ताओं को बैंकों और मोबाइल कंपनियों की पाबंदी रास नहीं आ रही है।