जालसाज़ी से गरीबों की ज़मीन हड़पी, नहीं हुई कार्रवाई

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सफीपुर (उन्नाव)। तहसील क्षेत्र में फैले भू-माफियाआें के गिरोह द्वारा कमजोर पट्टा धारकों की जमीनें हड़पने का क्रम अनवरत जारी है। वर्षों से अधिकारियों की चौखट से लेकर उच्च न्यायालय तक गुहार लगा चुके पीड़ित न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं।

तीन दशक से भी अधिक समय से गाँव में चल रही चकबंदी प्रक्रिया अभी भी पूरी नहीं हो सकी है। सर्वे विभाग के आधीन गाँव होने के कारण भू-माफियाआें एव सर्वे से जुड़े कर्मचारियों के लिए जहां चकबंदी प्रक्रिया मुफीद साबित हो रही है वहीं किसानों के लिए अभिशप बनी हुई है। फर्जी अभिलेखों के जरिए तैयार खतौनी एवं खसरा से जालसाज जमीन मालिक बन बैठे हैं। जबकि असली जमीन मालिक अधिकारियों की चौखट से लेकर उच्च न्यायालय में अपना हक पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। 

ददलहा गाँव के मजरे दुलरापुर निवासी राजकुमार, दुलारा और राजाराम एक दशक से भी अधिक समय तहसील से लेकर सर्वे विभाग में गुहार लगाकर थक चुके हैं कि उनके पिता भूरा स्व. महादेव तथा राजाराम पुत्र स्व. धनराज के नाम 1970 में पट्टे हुए थे। 

जिस पर सर्वे विभाग के लेखपाल एवं तहसील अभिलेखागार के कर्मियों से साठगांठ करके वहां 57 ख की पत्रावली में कटिंग व हेराफरी करके सेवापुरवा गाँव के घासीराम पुत्र धुन्ना व राजाराम पुत्र ने अपना नाम दर्ज करा लिया।

कई बार शिकायतें की जांच में मामला सही पाया गया, लेकिन कार्रवाही के नाम पर तहसील व सर्वे विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी सौंप पल्ला झाड़ लेते हैं। विगत दिनों पीड़ितों ने पुन: उपजिलाधिकारी से मिलकर अपना दर्द बयां किया। जिन्होंने न्याय का भरोसा दिया, जांच तहसीलदार को सौंपी, लेकिन अभी तक शून्य से आगे नहीं बढ़ सकी।

न्याय की आस में लोग

इसी गाँव के राज कुमार, राम कुमार की खतौनी खाता संख्या 561, गाटा संख्या 907 में हेराफेरी करके सर्वे लेखपाल ने राजेश को गलत ढंग से खतौनी जारी कर दी। पीड़ित ने जिलाधिकारी से लेकर तहसील दिवस में भी शिकायत की, लेकिन अभी तक उसकी शिकायत की कोई सुनवाई नहीं हुई है।

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