रिपोर्टर – आकाश द्विवेदी
कौशांबी। जनपद मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर इलाहाबाद रोड पर स्थित कसिया पश्चिम नाम का गाँव पूरे जनपद में केले की खेती कर एक मिसाल बन रहा है। सड़क पर से गाँव की ओर देखते ही सिर्फ केले की खेती ही दिखाई देती है, जहां दूसरे गाँव के किसान धान और गेहूं की खेती कर रहें, वहीं इस गाँव के किसान नयी फसल यानि केले के पेड़ लगा रहे हैं। कसिया पश्चिम गाँव में पहले धान, गेहूं और कई तरह की फसल लगाया करते थें पर इन फसलों में ये अपनी लागत ही निकाल पाते थें, लेकिन करीब तीन सालों से यहां के ज्यादातर किसान नयी खेती करने लगे हैं, जिनमें ज्यादातर लोग केला लगा रहे हैं और बाकी अलग-अलग फसल लगाते हैं।
कसिया पश्चिम गाँव के हरी शंकर सिंह जो पिछले तीन वर्षों से केले की खेती कर रहे हैं, वो बताते है, ”इस बार मैंने 5500 केले के पेड़ लगाये हैं। पहले हम कम केला लगाया करते थे, लेकिन केले की खेती में हमें गेहूं की खेती से ज्यादा फायदा होने लगा तो हमने गेहूं बोना बंद करके केला लगाने लगे। केले की खेती में मेहनत भी कम होती है और नुकसान भी कम होता है। धान और गेहूं की फसल की अपेक्षा केले की खेती को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। मुनाफा भी अन्य फसलों से ज्यादा होता है।” हरी शंकर आगे बताते हैं, ”केले के एक पेड़ में लगभग तीस से चालीस किलो तक केला होता है जो दिल्ली के व्यापारी को बेचने पर अच्छा पैसा मिलता है।” मुनाफे पर उन्होंने बताया, ”पिछले साल मैंने 5000 केले के पेड़ लगाए थें जिससे मुझे पांच लाख रुपये का मुनाफा हुआ था।”
कसिया पश्चिम गाँव के ही दूसरे किसान देवानंद जिन्होंने पच्चीस सौ केले के पेड़ लगाए है, वो बताए हैं, ”पिछने चार साल से मैं केले की फसल लगा रहा हूं। कुछ नया करने और गाँव का विकास करने के लिए हम लोग मिल कर केले की खेती कर रहे हैं क्योंकि बार-बार एक ही खेती करने से जमीन भी खऱाब होती है और किसान को ज्यादा फायदा भी नहीं होता है।” वे आगे बताते हैं ”पहले तो आलू लगाया लेकिन उनमें भी दिक्कते आने लगी, बाज़ार में अच्छा रेट भी नहीं मिलता था। हम लोगों ने केले की खेती करने की सोची और हम लोग भुसावल से केले के पौधे ले आये। पहले थोड़ा-थोड़ा अपने खेतों में लगया, जब पहली पैदावार में अच्छा फायदा हुआ तो हम लोगों ने केले की फसन हर साल उगाना चालू कर दिया और धान गेहूं सिर्फ खाने ले लिए ही लगते हैं।” देवानंद आगे बताते हैं, ”धान इसलिए भी कम बोते हैं क्योंकि धान की कीमत नहीं मिल पाती है जो धान 2013 में हमने 2700 में बेचा था वही इस बार 1300 में बिक रहा है। इस स्थिति में मुनाफा तो मिलता ही नहीं बल्कि पैसे अपनी जेब से लगाना पड़ता है, ऐसे में हम लोगों के लिए इस समय केले की खेती सबसे अच्छी है।”
कसिया पश्चिम गाँव के प्रधान राम चन्द्र विश्वकर्मा बताते हैं, ”पिछले सीजन में हमारे गाँव ने जनपद में सबसे अधिक केला उगाया है और इस बार भी हमारी यही कोशिश है की जनपद में सबसे ज्यादा केला यहीं से जाए। गाँव के विकाश के लिए भी ये खेती लाभदायक है। हमारे गाँव के लोगों की आर्थिक स्तिथि में भी सुधार आया है।”