ख़ून का इंतज़ाम करने का समय मांगने पर डॉक्टर ने जड़े थप्पड़

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ख़ून का इंतज़ाम करने का समय मांगने पर डॉक्टर ने जड़े थप्पड़gaonconnection

लखनऊ। सीतापुर जिले की दस वर्ष की बच्ची दीवार गिरने से चोटिल हो गई तो उसे केजीएमयू इलाज के लिए लाया गया। इलाज के लिए डॉक्टर ने उसके परिजनों से पांच बोतल खून मंगवा लिया। खून लाने के लिए बच्ची के पिता ने जब डॉक्टर से विनती करते हुए समय मांगा तो डॉक्टर ने पिता को थप्पड़ जड़ दिए और कहा कि बिटिया की जिंदगी चाहते हो तो खून लाना पड़ेगा।

हनुमान रात भर में तीन बोतल खून ला पाए फिर भी बच्ची को बिना इलाज डिस्चार्ज कर दिया। सीतापुर के संघना बिमतापुर के रहने वाली घायल बच्ची निशु के पिता हनुमान (35 वर्ष) बताते हैं, “चार दिन से यहां इलाज करा रहे थे। 

रविवार को डॉक्टर ने बताया कि अगर बेटी की जिंदगी चाहते हो तो पांच बोतल खून का इंतजाम करो, तो मैंने हाथ जोड़कर कहा साहब, कुछ समय दे दो क्योंकि पैसा सब खर्च हो गया है। इस पर डॉक्टर ने मुझे दो-चार थप्पड़ मार दिए।” हनुमान ने आगे बताया, “मैं पूरी रात अपनी पत्नी के साथ सबसे मदद मांगता रहा तो आज सुबह तीन बोतल खून का इंतजाम हो पाया।”

डिसचार्ज किए जाने के बाद दस वर्ष की निशु सोमवार दोपहर ढाई बजे चिलचिलाती गर्मी में केजीएमयू के बाहर स्ट्रेचर पर कराह रही थी। दर्द की वजह से उसकी आंखों से आंसू लगातार निकल रहे थे। उसके गुप्तांग से खून निकल रहा था। लेकिन उसका मेडिकल कॉलेज में इलाज करने की बजाए प्राइवेट अस्पताल में भेज दिया।

हनुमान ने बताया, “सोमवार सुबह जब मैं डॉक्टर के पास खून लेकर पहुंचा तो डॉक्टर ने कहा कि इसे डॉलीगंज के अस्पताल में ले जाओ, यहां इसका इलाज नहीं हो पाएगा। जब मैंने कहा साहब कागज तो दे दो तो डॉक्टर ने कहा कि कोई कागज नहीं मिलेगा, एंबुलेंस तुमको वहां ले जाएगी और छोड़ देगी।” 

निशु की मां रामगुनी ने बताया, “दीवार गिरने के बाद बिटिया को सीतापुर के जिला अस्पताल से ट्रामा रेफर कर दिया गया था। हम अपने तीन छोटे बच्चे छोड़कर यहां आ गए थे। चार दिन के अन्दर दस हजार खर्चा हो गया है लेकिन इन चार दिनों में बिटिया का कोई ठीक से इलाज नहीं हुआ। केवल ग्लूकोज चढ़ाया जा रहा था बिटिया को और आज सुबह तो उसको भी हटाकर बेटी को बेड से हटा दिया गया।” कई प्रयासों के बाद भी इस मामले में मेडिकल कॉलेज के सीएमएस अली हैदर से बात नहीं हो सकी। 

 रिपोर्टर - दरक्शां सिद्दीकी

 

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