लखनऊ (मोहनलालगंज)। ऊसर भूमि होने के कारण घसीटा राम को मजबूरी में शहर जाकर मजदूरी करना पड़ता था लेकिन मॉडल के जरिए आज उसी जमीन से वह लाखों की कमाई कर रहे है।
लैंड मोडिफिकेशन बेस्ड इंट्रीग्रेटेड फार्मिंग (मत्स्य तालाब आधारित संभावित कृषि प्रणाली) मॉडल के जरिए घसीटा राम (40 वर्ष) ने अपने तीन बीघा खेत में तालाब तो बनाया ही है साथ ही उसमें गेहूं, सरसों, चारा, टमाटर, प्याज, पत्तागोभी को भी बो रखा है, जिससेे उनको काफी लाभ हो रहा है। घसीटा लखनऊ जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर मोहनलाल गंज ब्लॉक के पतवाखेड़ा के रहने वाले है। घसीटा बताते हैं, ”इस मॉडल से खेती करते हुए हमको अभी दो साल हो गए है। पहले इसमें गेहूं की खेती करते थे पर अब सब्जी भी लगा रखी है। गाँव के लोगों को अपने खेत में मजदूरी का काम देते है।”
नहर के पानी से होने वाले रिसाव के कारण गाँव के कई किसानों की जमीन ऊसर हो गई है जिस कारण किसान खेती करने की बजाय मजदूरी करने के लिए मजबूर है। ऐसे में यह मॉडल काफी कारगर है। इस मॉडल को यू शेप में तैयार किया गया है। बीच में दो मीटर गहरा तालाब बनाया गया है और इस तालाब की मिट्टी से ही एक से ढेड़ मीटर ऊंचा खेत तैयार किया गया है। इस मॉडल को इस तरह तैयार किया गया है कि नहर का रिसाव होने पर भी फसल पर कोई असर नहीं पडेगा। इस मॉडल को केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के तहत तैयार किया गया है।
मॉडल के जरिए घसीटा ने एक बीघे खेत में तालाब तैयार किया है। पांच बिसवा में पत्तागोभी, तीन बिसवा में टमाटर, दो बिसवा में प्याज, आठ बिसवा में गेहूं और आठ बिसवा में सरसों बो रखी है। बाकी बचे हुए जगहों पर पशुओं को खिलाने के हरा चारा (नेपियर हाईब्रीड घास) बो रखा है। घसीटा बताते हैं, ”तालाब में छह हजार मछली के बीज डाले थे जिनसे करीब 10 कुंतल का उत्पादन हुआ है।”
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान वैज्ञानिक डॉ छेदीलाल वर्मा बताते हैं, जिन जगहों पर ऊसर भूमि है उन जगहों पर यह मॉडल काफी सहायक सिद्ध हुआ है। इस मॉडल के जरिए अभी चार किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे है। जल्द ही इस मॉडल को हम सरकार को देने वाले है जिससे ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसका लाभ मिल सके।