नौ करोड़ में भी ‘युवराज’ को बेचने को तैयार नहीं

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नई दिल्ली। साल 2012 में एक फिल्म आई थी। नाम था विक्की डोनर। फिल्म के निर्देशक शुजित सरकार ने एक ऐसे सब्जेक्ट पर फिल्म बनाई थी, जिसके बारे में लोग अमूमन बात करने में भी शर्माते थे। फिल्म विक्की डोनर शुक्राणु दान और बांझपन पर आधारित थी। फिल्म में दिखाया गया था कि हीरो अपने स्पर्म यानी शुक्राणु डोनेट कर अच्छी कमाई कर लेता था।

लेकिन, असल जिदंगी में हरियाणा का युवराज भी ऐसा ही है। जो भैंसों का विक्की डोनर है। जिसकी कीमत अब बढ़कर नौ करोड़ रुपए तक पहुंच गई चुकी है। 8 साल का युवराज अपनी कद काठी और अपनी कीमत की बदौलत दिल्ली के पूसा में आयोजित कृषि मेले में सबके आकर्षण का केंद्र बना रहा। यहां तक कि युवराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लिया।

नौ करोड़ रुपए की कीमत का ये मुर्रा नस्ल का भैंसा कुरुक्षेत्र के सुनरिया गांव के रहने वाले कर्मवीर का है। जो इसकी परवरिश अपने बच्चे की तरह करते हैं। कर्मवीर बताते हैं कि करनाल में आयोजित पशु मेले में उसके युवराज की कीमत नौ करोड़ रुपए लग गई थी। अब तो इसकी कीमत और भी बढ़ गई होगी। कर्मवीर कहते हैं कि हमने आज तक इसे बेचने के बारे में सोचा तक नहीं। कर्मवीर के मुताबिक युवराज की परवरिश में रोजाना करीब तीन हजार रुपए का खर्चा आता है। यानी करीब एक लाख रुपए महीने का खर्च युवराज पर होता है। लेकिन, इसके एवज में युवराज अपने शुक्राणु के जरिए अस्सी लाख रुपए सालाना से ज्यादा की कमाई कर के कर्मवीर को फायदा पहुंचाता है।

रोज होती है मालिश

कर्मवीर आठ साल के युवराज को रोजाना 20 लीटर दूध, 10 किलो फल (जिसमें करीब पांच किलो सेब होते हैं) 10 किलो दाना और छह किलो मटर खिलाते हैं। इसके अलावा उसे हरा चारा भी दिया जाता है। युवराज रोजाना करीब पांच किलोमीटर की सैर भी करता है। 

तीन कर्मचारी दिन रात उसकी खिदमत में रहते हैं। युवराज के शरीर पर हर रोज सरसों के तेल से मालिश की जा जाती है। कर्मवीर से जब ये पूछा गया कि आखिर उन्होंने मुर्रा नस्ल के इस भैंसे का नाम युवराज क्यों रखा तो वो बताते हैं कि वो क्रिकेटर युवराज सिंह से काफी प्रभावित हैं। युवराज ने अपने चौकों, छक्कों से देश का नाम बढ़ाया, ऐसे में परिवार ने सोचा की भैंसा घर का नाम बढ़ाए इसलिए इसका नाम युवराज रखा गया।

रिपोर्टर – अिमत शुक्ला

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