नहीं मिली लागत, सड़कों पर गाजर फेंकने को मजबूर हुए किसान

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उन्नाव। लागत न मिलने से परेशान किसानों ने हजारों क्विंटल गाजर खेतों से उखाड़कर सड़क पर फेंक दी। किसानों का कहना है कि इस बार मंडी का भाव दौ सौ रुपये क्विंटल से अधिक नहीं गया। जबकि खेतों से मंडी तक फसल पहुंचाने में इससे अधिक खर्चा आ रहा है। किसानों की इस समस्या पर प्रशासनिक अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे। 

उन्नाव जनपद मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर परियर क्षेत्र के किसानों ने गाजर की फसल बोई थी। किसानों को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें इस फसल के अच्छे दाम मिलेंगे, लेकिन उनकी उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है। परियर क्षेत्र के सैकड़ों किसान गाजर की फसल के अच्छे दाम न मिलने से परेशान हैं। परियर क्षेत्र के पावा, हसनापुर, बरहली, सुब्बाखेड़ा, करवाशा, भदेउना, पंडितखेड़ा, कंजौरा, बिधनू, ऐरा भदियार, परमनी, मक्कापुरवा, बहरौला, मोमिनपुर सहित एक सैकड़ा से अधिक गाँव के ग्रामीण गाजर, गोभी आदि की फसल तैयार कर प्रति बीघा तीस से चालिस हजार रुपये कमा लेते थे, लेकिन इस बार उत्पादन बढऩे के कारण गाजर का सही दाम नहीं मिल रहा है।

 सड़क किनारे फेंकी गयी गाजर  

भगौती गाँव निवासी राजेश दीक्षित बताते हैं, ”इस बार मंडी में गाजर का भाव दो सौ रुपए क्विंटल का है। कानपुर व लखनऊ की मंडी में दौ सौ रुपये क्विंटल में फसल बिक रही है, जबकि खेत से मंडी तक फसल पहुंचाने में दो सौ रुपये से अधिक का खर्चा आ रहा है। साथ ही गाजर की धुलाई व ढुलाई पर भी खर्च करना पड़ रहा है। इससे किसान अब फसल को खेत से उखाड़कर फेंकने को मजबूर हैं। परियर क्षेत्र के सैकड़ों की संख्या में किसान अब तक खेत खाली करने के लिए गाजर की फसल को सड़क पर फेंक चुके हैं।” 

पावा गाँव निवासी किसान सिंह बताते हैं, ”जब फसल लगाई थी तो हमें अंदाजा भी नहीं था कि इस बार हमारी गाजर की फसल कौडिय़ों के भाव बिकेगी। हजारों रुपये की लागत लगाने के बाद तैयार हुई गाजर की फसल का दाम हमें नहीं मिल रहा है, जिसके कारण हम किसान आगे की खेती करने के लिए खेतों से गाजर को उखाड़ कर खेत खली कर रहे हैं।”

लखनऊ नवीन मंड़ी का आड़तिया सुनील बताते हैं, ”मंड़ी में इस समय गाजर की मांग कम है, लेकिन किसानों ने उत्पादन अधिक किया है इस वजह से किसानों को गाजर का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है।”

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