लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर रसोई गैस सब्सिडी छोड़ने में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। अब तक प्रदेश के 13 लाख लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी है। महाराष्ट्र में 16.44 लाख उपभोक्ताओं ने रसोई गैस सब्सिडी छोड़ी। वह पहले स्थान पर है।गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने वाले पांच करोड़ परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए 1.13 करोड़, उपभोक्ताओं ने एलपीजी सब्सिड़ी छोड़ी है। इस सब्सिडी से बहुत से गरीब परिवारों को गैस उपलब्ध कराई जाएगी। लगातार प्रधानमंत्री द्वारा लोगों से अपील की जा रही थी।
अभियान की शुरुआत से अब तक 1.13 करोड़ लोगों ने एलपीजी सब्सिडी छोड़ी है और अब वह लोग रसोई गैस बाजार भाव पर खरीद रहे हैं। इस सूची में महाराष्ट्र सबसे ऊपर है, जहां 16.44 लाख उपभोक्ताओं ने सब्सिडी छोड़ी। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 13 लाख लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ी। उसके बाद दिल्ली में 7.26 लाख लोगों ने सब्सिडी छोड़ी। गुजरात में 4.2 लाख जबकि केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री प्रधान के गृह राज्य ओडिशा में 1.3 लाख लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ी है।
बाजार मूल्य पर 14.2 किलो का एलपीजी सिलेंडर 509.50 रुपए में उपलब्ध है। सब्सिडी वाला रसोई गैस सिलेंडर छोड़ने से सरकार के सब्सिडी बिल में बचत होगी जो पिछले वित्त वर्ष में 30,000 करोड़ रुपए थी। अभियान से करीब 5,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी की बचत होगी।
सरकार ने पिछले दो वित्त वर्ष में रसाई गैस सब्सिडी में 21,000 करोड़ रुपए से अधिक की बचत की है क्योंकि सब्सिडी की रकम को सीधे वास्तविक उपयोक्ताओं बैंक खातों में भुगतान करने से नकली कनेक्शन और चोर-बाजारी की समस्या पर रोक लगाने में मदद मिली है। यह बात पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही।
चिनहट में रहने वाले विनोद अवस्थी जो मध्यम वर्ग परिवार के है। विनोद बताते हैं, “मेरे घर में सिर्फ चार लोग है जिनका खर्च मैं अकेले उठाता हूं परिवार की जिम्मेदारी होने के कारण किसी कि सहायता नहीं कर पता। इस योजना से हम जैसे गरीबों की मदद हो सकती है। यह योजना बहुत कारगर है क्योंकि सब्सिडी छोड़ने से गरीब परिवार को लाभ मिलेगा। इस प्रकार की योजना से गरीबों को गैस मिल सकती है।”
उमाशंकर दुबे गोमती नगर के रहने वाले है। दुबे बताते हैं, “प्रधानमंत्री ने बलिया में जब उज्जवला योजना के तहत गरीबों को रसोई गैस कनेक्शन बांटे उससे प्रभावित होकर मैंने उसी समय गैस की सब्सिडी छोड़ने का निर्णय लिया। जिससे गरीबों को इसका लाभ मिल सके।” पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बताते हैं, “सरकार ने चुनिंदा जिलों में रसोई गैस उपभोक्ताओं के बैंक खातों में सीधे सब्सिडी भुगतान की प्रक्रिया नवंबर 2014 में शुरु की थी और इसे पहली जनवरी 2015 से देश के शेष हिस्सों में भी शुरु कर दिया गया।
एक अप्रैल 2015 तक रसोई गैस के 18.19 करोड पंजीकृत उपभोक्ता थे और सक्रिय उपभोक्ताओं की संख्या 14.85 करोड़ थी जिसका अर्थ है कि 3.34 करोड़ उपभोक्ता खाते नकली, जाली या असक्रिय थे।” प्रधान ने एक गोष्ठी में कहा, ‘‘3.34 करोड ऐसे उपभोक्ताओं को हटाने से 2014-15 में 14,672 करोड़ रुपए बचाने में मदद मिली।” उन्होंने कहा कि 2015-16 करीब 7,000 करोड़ रुपए की बचत हुई जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले कम है। यह कमी मुख्यतौर पर वैश्विक स्तर पर तेल और गैस के मूल्यों में गिरावट के चलते हुई क्योंकि इससे सब्सिडी की जरुरत कम हुई।