घोटाला: शहर का कूड़ा तो उठा नहीं, कंपनी ने जनता के 100 करोड़ रुपये कर दिए साफ

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घोटाला: शहर का कूड़ा तो उठा नहीं, कंपनी ने जनता के 100 करोड़ रुपये कर दिए साफफोटो: महेंद्र पाण्डेय।

सुधा पाल

लखनऊ। राजधानी के सैकड़ों टन कूड़े से भ्रष्टाचार का जिन्न निकला है। निजी कंपनी ज्योति इनवायरोटेक ने अपने काम में लापरवाही के साथ नगर निगम को लगभग 100 करोड़ रुपए की चपत लगाई है। जल निगम के कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सेक्शन (सीएनडीएस) द्वारा दिए गए अनुबन्ध की शर्तों और नियम को दरकिनार कर दिया है। जिसके बाद धोखाधड़ी के इस मामले में पुलिस अपनी कार्रवाई कर रही है। निगम अधिकारी अब इस पूरे प्रकरण से पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे हैं।

राजधानी में कूड़ा निस्तारण को लेकर निजी कंपनी ज्योति इन्वायरोटेक से नगर निगम ने साल 2010 में एक अनुबन्ध किया था। इस अनुबन्ध के अनुसार कंपनी को शहर भर से कूड़ा इकट्ठा कर उसके नियमानुसार निस्तारण की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन कंपनी अपनी इस ज़िम्मेदारी को पूरा करने में असफल रही। शहर में हर जगह कूड़ा फैला ही रहा लेकिन कंपनी ने इसकी कोई सुध नहीं ली। इसके साथ ही प्लांट भी अच्छी तरह से नहीं चल रहा है। ऐसे में शहर की अलग-अलग जगह पर हजारों टन कूड़े का ढेर बना हुआ है। अनुबन्ध मिलने के दो साल बाद (2012) से प्लांट का कार्य अव्यवस्थित चल रहा है।

संचालन के लिए प्लांट नगर निगम से 100 करोड़ रुपए ले चुका है। कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सेक्शन (सीएनडीएस) द्वारा जवाहर लाल अर्बन रिन्यूअल मिशन के तहत कंपनी का प्रस्ताव पारित किया गया था। जिसके बाद कूड़ों के निस्तारण को लेकर प्लान बनाया गया और भारत सरकार को भेजा गया था। इसके बावजूद अभी तक निर्धारित प्लान कंपनी द्वारा नहीं शुरू किया गया है। कूड़ा उठाने के लिए अबतक गाड़ियों की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

निजी कंपनियों की गड़बड़ियों को लेकर प्रशासन की पूरी नजर है। इस संबंध में अफसरों से जवाब मांगा गया है। अगर कोई गड़बड़ी सामने आई तब कड़ी कार्रवाई की जाएगी। शहर में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था को और सुदृढ़ किया जाएगा।
डॉ. दिनेश शर्मा, महापौर, लखनऊ

शर्तों का किया उल्लंघन

नगर निगम कर्मचारी संघ के नेता अकील अहमद ने बताया कि अनुबन्ध की शर्तों के अनुसार ज्योति इन्वायरोटेक को शहर का कूड़ा उठाने और उसके निस्तारण का काम दिया गया था। ज्योति इन्वायरोटेक को डोर-टू-डोर जाकर कूड़ा इकट्ठा करके प्लांट में उसका निस्तारण करना था। लेकिन निजी कंपनी इन शर्तों पर खरी नहीं उतरी। इसके साथ ही कंपनी द्वारा शहरों को अपडेट भी नहीं किया।

करोड़ों के भुगतान पर उठ रहे हैं सवाल

वर्ष 2012 में 12 मार्च को 62 लाख रुपए, 31 मार्च को 34 लाख रुपए, 20 मार्च को 2.18 करोड़ रुपए, 13 सितंबर को 2.12 लाख, 22 दिसंबर को 81 लाख का भुगतान ज्योति इन्वायरोटेक को किया गया था। यह भुगतान कमेटी के सभी सदस्यों की मंज़ूरी के बिना ही दिया गया था।

   

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