प्रतापगढ़। सविता सिंह को पेट दर्द की शिकायत हुई तो उन्होंने जिला अस्पताल में जाकर जांच कराई तो पता चला कि उन्हें पेट में पथरी है। सविता ही नहीं ज़िला अस्पताल में हर दिन पथरी के पंद्रह से बीस मरीज आते हैं। इसका कारण है पेयजल की समस्या।
प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 20 किमी दक्षिण-पश्चिम दिशा में मानधाता ब्लॉक के अंतपुर गाँव की सविता सिंह (28 वर्ष) जिले में अकेले नहीं हैं, जिन्हें पथरी की शिकायत है। जिला अस्पताल में हर दिन जांच के बाद 15 से 25 मरीज के पेट में पथरी की शिकायत मिल रही है और पथरी होने का कारण है पेयजल की समस्या। जिले के कई क्षेत्रों में पानी में फ्लोराइड की भी समस्या है।
जिला अस्पताल से मिले आंकड़ों के अनुसार इस बीमारी से हर उम्र के लोग पीड़ित हैं। पिछले तीन महीनों में 30 वृद्ध, 90 अधेड़ और 176 युवक युवतियों और 45 किशोर और किशोरी का ऑपरेशन करके पथरी निकाली गई है। शहर से लेकर गाँवों तक लोगों को साफ पानी नहीं मिल रहा है। पानी की समस्या से डायरिया, हेपेटाइटिस, टायफाइड की बीमारी का शिकार तो लोग हो ही रहे हैं वहीं पानी कम पीने या प्रदूषित पानी का सेवन करने से पेट में पथरी हो जा रही है।
जिला अस्पताल में जिले भर से मरीज आते हैं। जांच के बाद हर दिन 15 से 20 मरीज के पेट में पथरी की शिकायत मिलती है। जिला अस्पताल के सर्जन डॉक्टर बीपी सिंह इस बारे में बताते हैं, “ज्यादा दिनों तक पेट के अंदर पथरी की समस्या होने से उल्टी दस्त की समस्या शुरू हो जाती है। इससे गुर्दा फेल होने की संभावना बनी रहती है।”
वो आगे कहते हैं, “पथरी होने की ज्यादा समस्या दूषित पानी पीने या फिर गुटखा तंबाकू खाने से होता है। पथरी बनने की प्रक्रिया में समय लगता है और अगर पर्याप्त मात्रा में पानी पिया जाए तो पथरी बड़ी होने से पहले अपने आप ही मूत्रमार्ग से बाहर निकल सकती है।”
यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के अनुसार देश में पांच करोड़ से भी अधिक पथरी के मरीज हैं। एक बार पथरी निकल जाने के बाद बार-बार होने की संभावना भी रहती है। अस्पताल में पथरी का इलाज कराने आए शिवगढ़ ब्लॉक के दुर्गागंज बाजार के रमेश गुप्ता (35 वर्ष) बताते हैं, “हम लोगों को इतनी जानकारी नहीं रहती की इसके लिए क्या बचाव किया जाना चाहिए।”
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क