सैकड़ों छात्र-छात्राओं के आवेदनों पर लटकी तलवार

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एट। ऑनलाइन दशमोत्तर छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना औपचारिकताओं के झमेले में फंसकर रह गई है। महीनों पहले फॉर्म भरवाने के बाद अब तक जिम्मेदार पात्रों का चयन नहीं कर सके हैं। तमाम शिक्षण संस्थाओं की भूमिका भी योजना को लेकर अच्छी नहीं है। जिसके चलते सैकड़ों छात्र-छात्राओं के आवेदनों पर तलवार लटकी हुई है।

दशमोत्तर छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना को पूरी तरह से ऑनलाइन किया गया है। इस पर समाज कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा मॉनीटरिंग की जाती है। अप्रैल माह से ही ऑनलाइन आवेदन भरवाया जाना शुरू कर दिया गया। जिसके बाद तारीखें लगातार बढ़ती गईं। अक्टूबर तक आवेदन, संशोधन और हार्डकॉपी जमा कराने का समय पूरा हो गया। करीब 25 हजार छात्र-छात्राओं ने छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन कर दिए।

समाज कल्याण अधिकारी विनोद शंकर तिवारी ने बताया, ‘‘दशमोत्तर छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में आवेदकों का सत्यापन कर अंतिम सूची तैयार करने का समय बढ़ा दिया गया है। शासन से सूची प्राप्त होने के बाद संदिग्ध आवेदकों की जांच कराई जाएगी। जिसके बाद पात्रों को फाइनल कर डाटा अपलोड कर दिया जाएगा।’’

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सभी औपचारिकताओं के बाद संदिग्ध आवेदकों के संबंध में 10 दिसबंर तक निर्णय लेकर 15 दिसंबर तक छात्र-छात्राओं का स्वीकृत विवरण लॉक हो जाना था, लेकिन स्थिति यह है कि अब तक विभाग पात्रों और संदिग्ध आवेदकों पर कोई भी फैसला नहीं कर सके हैं। इसमें सैकड़ों आवेदक ऐसे भी हैं, जिनका डाटा शिक्षण संस्थाओं की ओर से नहीं भेजा गया है। उनके आवेदनों को निरस्त किया जा सकता है।

अब 31 बिंदुओं पर होगी जांच

आवेदनों की जांच के लिए पहले 26 बिंदु तय किए गए थे। अब जांच बिंदुओं की संख्या बढ़ाकर 31 कर दी गई है। एनआइसी की राज्य इकाई और पीएफएमएस सॉफ्टवेयर से सत्यापन के बाद डाटा 20 दिसबंर को जनपद को वापस किया जाएगा। इसके बाद ही स्थानीय स्तर पर सत्यापन व सूची फाइनल की कार्रवाई हो सकेगी।

नवीनीकरण में हजारों आवेदक लापता

नए आवेदनों के अलावा बात नवीनीकरण की करें तो स्थिति और ज्यादा खराब है। इसमें हजारों छात्र-छात्राएं लापता हो चुके हैं। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार 19 हजार 581 फॉर्म नहीं भरे गए हैं, जिन्हें इस बार नवीनीकरण के लिए आवेदन करना था।

दरअसलए इसमें बड़ी वजह शिक्षण संस्थाओं की ओर से ध्यान न दिया जाना है। छात्र-छात्राओं को इतनी जानकारी नहीं होती और तमाम लोग नवीनीकरण के स्थान पर नया आवेदन कर देते हैं। जिससे उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पाता।

रिपोर्टर – बबिता जैन

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