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‘सेस’ के नाम पर जेब काटने का खेल

India

लखनऊ। महंगाई से परेशान लोगों के लिए बुरी ख़बर है। सरपट भागती महंगाई ने एक बार फिर से आम आदमी का दिवाला निकालने की तैयारी कर ली है। एक जून यानी आज से आपकी रोज़मर्रा ज़रूरत की चीजें महंगी होने जा रही हैं।

आज से सभी सेवाओं पर आधा फीसदी कृषि कल्याण सेस लागू होने रहा है। इससे सर्विस टैक्स 14.5% से बढ़कर 15% हो गया है। लेकिन इस तरह से सेस लगाने को लेकर आर्थिक जानकारों की राय ज़रा जुदा है। बिज़नेस चैंबर एसोचैम यूपी के सेक्रेटरी जनरल वी एन गुप्ता बताते हैं, ‘सरकार के ज़रिए लगाए जाने वाले सेस को एक तय समयसीमा के लिए होना चाहिए। अगर किसी कमोडिटी या सेवा पर टैक्स लगाना है तो इसका प्रावधान साल में एक बार बजट के दौरान करना ज्यादा बेहतर है। बार-बार सर्विस टैक्स में इज़ाफ़ा करने से आम आदमी की जेब पर असर पड़ता है।’

क्या है कृषि कल्याण सेस?

मोदी सरकार ने बजट के दौरान 0.50% कृषि कल्याण सेस लाने का एलान किया था। इसके जरिए वो कृषि और किसानों की स्कीम्स के लिए 5 हजार करोड़ रुपए जुटाना चाहती है। बिज़नेस चैंबर एसोचैम यूपी के सेक्रेटरी जनरल वी एन गुप्ता कहना है कि, ‘सर्विस टैक्स 18% तक संभव है। इसे जीएसटी की संभावित दर तक बढ़ाया जा सकता है। लेकिन इससे आम आदमी का नुकसान होगा।’

सेस से कितना कमाती है सरकार?

एक साल में अलग-अलग सेस के ज़रिए सरकार 1.16 लाख करोड़ रुपए कमाती है। 2015 के बजट में सेस 12.36% से 14% कर दिया गया था। नवंबर में दोबारा 0.50% स्वच्छ भारत सेस लगाया गया जिसके बाद सर्विस टैक्स बढ़कर 14.5% हो गया। सरकार का सर्विस टैक्स कलेक्शन सालाना 25% की दर से बढ़ रहा है। 2015-16 में सरकार ने सेस के ज़रिए 2.1 लाख करोड़ रुपए के कलेक्शन का अनुमान लगाया था। हर साल तरह-तरह के सेस से सरकार को 1.16 लाख करोड़ की कमाई होती है। पिछले साल पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले सेस को सरकार को 21,054 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी।

सरकार ने लगाए कुछ नए टैक्स

कार पर 1% लग्जरी टैक्स =दो लाख से अधिक कीमत का माल या सेवा की नकद खरीद पर संबंधित व्यापारी आपसे बिल अमाउंट पर 1% टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (टीसीएस) जमा करवाएगा।

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