नई दिल्ली (भाषा)। दिल्ली में शादियों के दौरान हो रहे नियमों की अनदेखी को लेकर दायर याचिका के बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने राज्य सरकार की खिंचाई की है। एनजीटी ने कहा कि राज्य में बेहतर प्रदूषण नियंत्रण कानून के लिए रणनीति तैयार करने में देरी की जा रही है।
एनजीटी ने इस बारे में राज्य सरकार को दो हफ्तों के अंदर एक बैठक बुलाने का निर्देश दिया है। हरित पैनल ने इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि पटाखे चलाना, डीजल जेनरेटर का इस्तेमाल करना और लाउडस्पीकर वायु और ध्वनि प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। एनजीटी दिल्ली निवासी वेद पाल की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दिल्ली-एनसीआर में शादियों के दौरान ध्वनि प्रदूषण पर कानूनों के उल्लंघन की बात की गई है।
कानून के मुताबिक, अधिकारियों की पूर्व अनुमति के बगैर तेज आवाज में म्युजिक सिस्टम बजाने पर प्रतिबंध है। न्यायमूर्ति एम एस नाम्बियार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ”स्पष्ट किया जाता है कि उपसंभागीय मजिस्ट्रेटों की बैठक दो सप्ताह के अंदर बुलाई जाएगी और इसमें आवेदनकर्ता को भी आमंत्रित किया जाएगा और बैठक में उनके सुझावों पर गौर किया जाएगा।”
अधिकरण ने एक फरवरी को इस संबंध में सरकार को सभी उपसंभागीय मजिस्ट्रेटों की बैठक बुलाने का निर्देश दिया था। इसके अनुसार, ”इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि वायु और ध्वनि प्रदूषण के लिए मानक तय हैं लेकिन सवाल केवल उनके लागू किए जाने का है।”
बहरहाल, सुनवाई के लिए मामला सामने आने पर दिल्ली सरकार ने अधिकरण को बताया कि इस मुद्दे पर बैठक नहीं बुलाई जा सकती और इसके लिए उसे और समय की जरूरत है। मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।