शोपीस बने बिजली के मीटर, बिना रीडिंग के आ रहा बिल

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शोपीस बने बिजली के मीटर, बिना रीडिंग के आ रहा बिलgaonconnection

पतसेनी (हरदोई)। बिजली के मीटर तो लगा दिये गए हैं, लेकिन इनका कोई मतलब नहीं। कई महीनों से मीटर रीडिंग ही नहीं हुई है। चाहे जितनी बिजली खर्च करो बिल उतना ही आना है।

हरदोई ज़िला मुख्यालय से लगभग 39 किमी दूर संडीला तहसील के कछौना पतसेनी में बिजली के मीटर तो लगा दिये गए हैं, लेकिन सिर्फ दिखावे के लिए। यहां पिछले कई महीनों से मीटर की रीडिंग ही नहीं देखी गयी।

यहां के उपभोक्ताओं को बिना रीडिंग के बिल भेजे जा रहे हैं। महीने में एक बार भी बिजली विभाग से कोई मीटर रीडिंग के लिए नहीं आता है, लेकिन दो महीने में 900 रुपये बिल आ जाता है। एक महीने का 450 रुपए। लगभग 25 हजार जनसंख्या वाले कछौना में ठाकुरगंज, नटपरुवा जैसे कुल 12 वार्ड हैं। जितने घरों में बिजली का कनेक्शन है, उनमें कंप्यूटर मीटर द्वारा लगाए गए हैं।

ठाकुरगंज वार्ड में रहने वाले रमेश सिंह (45 वर्ष) बिजली विभाग से परेशान हो गए हैं। बिजली का मीटर दिखाते हुए रमेश सिंह कहते हैं, “देख लो बिजली का मीटर शो में लगा दिए हैं, लेकिन बिल तो उतना ही आना है। इस बार गर्मी में बहुत परेशानी हो रही है, बिजली रुलाती रहती है”

ये परेशानी रमेश सिंह अकेले की नहीं है, ठाकुरगंज के ही रशीद खान (35 वर्ष) भी बिजली विभाग से परेशान हो गए हैं। रशीद खान बताते हैं, “मेरे यहां सिर्फ दो बल्ब और एक पंखा चलता है, फिर भी वही बिल आता है, जबकि बड़े लोगों के यहां टीवी, फ्रिज सब चलता है।“

बिजली विभाग के डीई पीएस बघेल का कहते हैं, “ऐसा नहीं है, मीटर की रीडिंग के बाद ही बिल भेजा जाता है, अगर कहीं ऐसा हो रहा है तो हम इसका पता लगाएंगे।

स्थानीय लोगों के मुताबिक विभाग के पास मीटर रीडर ही नहीं है। कछौना ही के राहुल सिंह (28 वर्ष) कहते हैं, “बिजली विभाग के पास मीटर रीडर ही नहीं हैं, तो कहां से मीटर रीडिंग के लिए आएंगे। इसकी शिकायत दर्ज कराने गए थे तो हमसे कहा गया की मीटर रीडर चेक करने आते हैं।'' वो बताते हैं, ''मीटर रीडर का काम सिर्फ बिल बांटने तक सिमट कर रह गया है, जबकि वे उपभोक्ता के मीटर से रीडिंग नोट नहीं कर रहे हैं।''

दिवेन्द्र सिंह/काजल सिंह

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

श्री जानकी प्रसाद इंटर कॉलेज

 

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