नई दिल्ली (भाषा)। देश के कई राज्यों के जल संकट से जूझने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पानी के संबंध में संवेदनशीलता जरूरी है क्योंकि शुद्ध पीने का पानी जीडीपी वृद्धि का कारण बन जाता है और इस दृष्टि से वर्षा का पानी, गाँव का पानी, गाँव में रोकने के लिए सामूहिक कोशिश करने की जरूरत है।
आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मनुष्य का स्वभाव है, कितने ही संकट से गुजरता हो, लेकिन कहीं से कोई अच्छी खबर आ जाए, तो जैसे पूरा संकट दूर हो गया, ऐसा महसूस होता है। जब से ये जानकारी सार्वजनिक हुई कि इस बार वर्षा 106 प्रतिशत से 110 प्रतिशत तक होने की संभावना है, जैसे मानों एक बहुत बडा शान्ति का सन्देश आ गया हो। अभी तो वर्षा आने में समय है, लेकिन अच्छी वर्षा की खबर भी एक नई चेतना ले आयी।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार की भयंकर गर्मी ने चारों तरफ सारा मजा किरकिरा कर दिया है। देश में चिंता होना बहुत स्वाभाविक है और उसमें भी, जब लगातार सूखा पड़ता है, तो पानी-संग्रह के जो स्थान होते हैं, वो भी कम पड़ जाते हैं. कभी-कभार अतिक्रमण के कारण, गाद जमा होने के कारण, पानी आने के जो प्रवाह हैं, उसमें रुकावटों के कारण, जलाशय भी अपनी क्षमता से काफी कम पानी संग्रहित करते हैं और सालों के क्रम के कारण उसकी संग्रह-क्षमता भी कम हो जाती है.
पीएम मोदी ने कहा, ‘सूखे से निपटने के लिए पानी के संकट से राहत के लिए सरकारें अपना प्रयास करें, वो तो है, लेकिन मैंने देखा है कि नागरिक भी बहुत ही अच्छे प्रयास करते हैं। कई गाँवों में जागरुकता देखी जाती है और पानी का मूल्य क्या है, वो तो वही जानते हैं, जिन्होनें पानी की तकलीफ झेली है। और इसलिए ऐसी जगह पर, पानी के संबंध में एक संवेदनशीलता भी होती है और कुछ-न-कुछ करने की सक्रियता भी होती है।’ उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसा कहते हैं, शुद्ध पीने का पानी जीडीपी वृद्धि का कारण बन जाता है, स्वास्थ्य का तो बनता ही बनता है। कभी-कभार तो लगता है कि जब भारत सरकार रेलवे के जरिये पानी लातूर पहुंचाती है, तो दुनिया के लिए वो एक खबर बन जाती है।